शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा राजकीय महाविद्यालय पालमपुर में अमर शहीद विक्रम बत्रा की 20वीं पुण्यतिथि के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। इस मौके पर महाविद्यालय के कार्यकारी प्राचार्य डॉ सुजीत सरोज ,प्राध्यापक गण प्रोफेसर संजीव, प्रोफेसर अनीता सरोच, प्रोफेसर सुमन सच्चर ,लेफ्टिनेंट दीप, लेफ्टिनेंट रेणु,प्रोफेसर सुनीता, डॉ आशु फुल प्रोफेसर पवन राणा, प्रोफेसर संजय पड्डा और छात्र छात्राओं ने शहीद की प्रतिमा को श्रद्धा सुमन अर्पित किये।
कैप्टन विक्रम बत्रा कारगिल युद्ध में 7 जुलाई को शहीद हो गए थे। आज उनकी 20 वीं पुण्यतिथि है। इस मौके पर देश के लिए अपने प्राणों को कुर्बान कर देने वाले जाबांज को आज फिर से याद किया जा रहा है। कारगिल युद्ध के हीरो रहे कैप्टन विक्रम बत्रा की बहादुरी के कारण ही उन्हें भारतीय सेना ने शेरशाह तो पाकिस्तानी सेना ने शेरखान नाम दिया था।
मात्र 24 साल की उम्र में देश के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर करने वाले इस जांबाज की बहादुरी के किस्से आज भी याद किए जाते हैं। उनकी बहादुरी को देखते हुए ही कै. विक्रम बत्रा को भारत सरकार ने परमवीर चक्र से अलंकृत किया था। अगर मैं युद्ध में मरता हूं तब भी तिरंगे में लिपटा आऊंगा और अगर जीतकर आता हूं, तब अपने ऊपर तिरंगा तपेटकर आऊंगा, देश सेवा का ऐसा मौका कम ही लोगों को मिल पाता है। शहीद कैप्टन बत्रा के कहे गए ये अंतिम शब्द आज युवा पीढ़ी को प्रेरणा देते हैं। उनको 'कारगिल का शेर' भी कहा जाता है।