मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने राज्य लोक निर्माण विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि जल निकास सुविधा सड़क स्वीकृति का एक मुख्य बिन्दु होना चाहिए, क्योंकि प्रायः यह देखा गया है कि खराब जल निकास सुविधाओं के कारण सड़कों को भारी क्षति पहुंचती है। सीएम ने बताया कि रिटेनिंग दिवारों, क्रैश बेरियर और पैरापिट्स आदि के निर्माण के माध्यम से 4115 ब्लैक स्पॉटस का सुधार किया गया है। राज्य में सभी नई सड़कों की स्वीकृति निष्पक्ष एजेंसी द्वारा सुरक्षा ऑडिट के उपरान्त ही दी जाएगी। भविष्य में सड़क सुरक्षा ऑडिट डीपीआर का महत्त्वपूर्ण भाग होगा।
उन्होंने बताया कि राज्य के लिए केन्द्र सरकार द्वारा स्वीकृत 69 राष्ट्रीय राज मार्गों में से, 4031 किलोमीटर लम्बे 63 राष्ट्रीय राजमार्गों की डीपीआर लोक निर्माण विभाग द्वारा बना ली गई है, जबकि 170 किलोमीटर की कुल लम्बाई वाले तीन राष्ट्रीय उच्च मार्गों की डीपीआर एनएचआईडीसीएल द्वारा बनाई गई है। जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों को सड़क सुविधा सुनिश्चित करने में वरदान सिद्ध हुई है। उन्होंने कहा कि इस योजना के अन्तर्गत निर्मित की जा रही सड़क परियोजनाओं को समयबद्ध आधार पर पूरा करना सुनिश्चित बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में किसी भी प्रकार की कोताही को गम्भीरता से लिया जाएगा तथा इसके लिए जिम्मेबार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी।
बैठक में यह भी जानकारी दी गई कि पीएमजीएसवाई-2 के अन्तर्गत 1250 किलोमीटर नई सड़कों का निर्माण किया जाएगा। साथ ही उन्होंने इस बात पर बल दिया कि लक्ष्यों की प्राप्ति तय समय सीमा के अन्दर होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सड़कों का निर्माण इस तरीके से होना चाहिए कि वे यात्रियों के लिए हर्ष का विषय हो तथा साथ में, इनके निर्माण से प्रदेश में पर्यावरण को भी कम से कम हानि पहुंचे। प्रदेश में चल रही विभिन्न परियोजनाओं में देरी, परिणामस्वरूप बढ़ते खर्च के दृष्टिगत वन स्वीकृतियों में तेजी लाने के लिए चीफ इंजीनियर स्तर के अधिकारी इस कार्य के लिए नोडल अधिकारी नियुक्ति किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी मुख्य जिला सड़कों के रखरखाव, चौराहों में सुधार के माध्यम से जियोमैट्रिक्स में सुधार और यात्रियों को बेहतर सड़क सुविधा प्रदान करने के लिए सुरंग निर्माण जैसे कार्यों को करने की दृष्टि से हिमाचल प्रदेश सड़क अधोसंरचना विकास निगम को सुदृढ़ किया जाएगा। विभिन्न विकासात्मक परियोजनाओं को क्रियान्वित करते समय गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखना चाहिए तथा स्थानीय वास्तुकार और पारम्परिक तकनीकी जानकारियों का प्रयोग करते हुए भवन निर्माण किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोगों की सुविधा के लिए आईजीएमसी के नये ओपीडी का निर्माण शीघ्र पूरा होना चाहिए।
सड़कों पर दबाव कम करने के लिए रज्जू मार्गों के निर्माण की सम्भावनाएं तलाश रही सरकार
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि राज्य में बढ़ती यातायात समस्या तथा सड़कों बढ़ती निर्भरता को कम करने के लिए राज्य सरकार रज्जू मार्गों और अन्य ‘रैपिड ट्रांसपोर्टेशन’ परियोजनाओं के निर्माण की संभावनाओं का पता लगा रही है। राज्य में मौजूदा परिवहन व्यवस्था को और अधिक सुचारू बनाने के लिए रज्जू मार्गों, मोनो रेल, पॉड कार, एसक्लेटर आदि आधुनिक परिवहन विकल्पों की पहचान करने के लिए परिवहन विभाग के अन्तर्गत रोप-वे एंड रैपिड ट्रांसपोर्ट डिवल्पमेंट कॉर्पोरेशन का गठन किया है। यह निगम इस सम्बन्ध में एक नोडल एंजेंसी के रूप में कार्य कर रही है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि पहले चरण में शिमला, मनाली और धर्मशाला जैसे पर्यटन महत्व के स्थलों में यातायात की वैकल्पि व्यवस्थाओं की संभावनाओं का पता लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि रज्जू मार्ग न केवल एक सशक्त व्यापक परिवहन प्रणाली है, अपितु यह कुशल और पर्यावरण मित्र कम लागत वाली परिवहन प्रणाली भी है।
भारत सरकार के उपक्रम ‘वैपकोस’ लिमिटेड पर्यटन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण शिमला, मनाली और धर्मशाला शहरों के लिए प्रारम्भिक योजना तैयार की है। इसके अनुसार डीपीआर बनाई जाएगी तथा इस वर्ष नवम्बर माह तक निविदाएं आमंत्रित की जाएंगी। सीएम ने बताया कि बगलामुखी मंन्दिर के लिए एक रज्जू मार्ग के प्रोमोटर की नियुक्ति के लिए निविदा आमंत्रित कर दी गई है तथा न्यूगल रज्जू मार्ग के निर्माण के लिए प्री ‘फिजीबिल्टी स्टडी की जा रही है।