भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अब 21 जुलाई की दोपहर या फिर 22 जुलाई की सुबह चंद्रयान-2 मिशन को लॉन्च कर सकता है। पहले लॉन्च 15 जुलाई को होना था लेकिन जीएसएलवी एमके-lll में क्रायोजेनिक स्टेज पर एंड मौके पर लीक होने से इसे टालना पड़ा।
यान के प्रक्षेपण से केवल 56 मिनट पहले इसे रोकना पड़ा। यदि सबकुछ ठीक रहता तो यान अपने निर्धारित समय 2 बजकर 51 मिनट पर प्रक्षेपित किया जाता। इसरो ने आधिकारिक तौर पर जीएसएलवी-एमकेआई 3 में आई तकनीकी खामी की पुष्टि की है। आधिकारिक तौर पर पुष्टि करते हुए कहा है कि साइक्रोजेनिक स्टेज पर लीक के कारण प्रक्षेपण को रोकना पड़ा था।
श्रीहरिकोटा में सोमवार तड़के देशभर के 5,000 लोग पहली बार रॉकेट लॉन्च को अपनी आंखों से देखने के लिए इकट्ठा हुए थे। उन्होंने इस तरह की निराशा की उम्मीद तक नहीं की थी। मिशन कंट्रोल सेंटर की वीआईपी गैलरी में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी मौजूद थे। मिशन के रुकने से सभी के हाथ मायूसी लगी। 978 करोड़ रुपये के चंद्रयान मिशन में जीएसएलवी-एमके 3 लॉन्च व्हीकल का इस्तेमाल किया गया है। जिसमें थ्री-स्टेज क्रायोजेनिक तकनीक से लैस सीई-20 इंजन लगा हुआ है। क्रायोजेनिक स्टेज में ईंधन के तौर पर लिक्विड हाइड्रोजन और ऑक्सीडाइजर के रूप में लिक्विड ऑक्सीजन का उपयोग करता है।
हर लॉन्च में एक समय सीमा होती है जिसके अंदर वे नतीजे मिलने की संभावना होती है, जिनके लिए लॉन्च किया जा रहा है। 15 जुलाई को यह समय सबसे ज्यादा 10 मिनट का था लेकिन इसरो के पास बाकी महीने में हर दिन एक मिनट का समय है। वैज्ञानिकों के मुताबिक 31 जुलाई तक न लॉन्च कर पाने की स्थिति में चंद्रयान के लिए ज्यादा ईंधन की जरूरत होगी।
इसके अलावा फिलहाल चंद्रयान का लक्ष्य 1 साल तक चांद का चक्कर लगाने का है लेकिन सही समय पर लॉन्च न होने से यह वक्त 6 महीने तक भी घट सकता है। संभावित लॉन्च को देखते हुए 18 जुलाई से लेकर 31 जुलाई तक दोपहर 2 बजे से लेकर 3:30 बजे तक के लिए अलर्ट जारी किया गया है।