सोलन में असुरक्षित भवन के ढहने के बाद शिमला में भी हलचल बढ़ गई है। क्योंकि राजधानी शिमला में नगर निगम के दायरे में 300 भवन असुरक्षित हैं। इसके अलावा 13 आवेदन असुरक्षित भवनों को घोषित करने के लिए नगर निगम के पास आए हैं। यहां एक बात ओर निकलकर सामने आ रही है की भवन मालिक ख़ुद ही अपने भवनों को असुरक्षित करवाने के लिए आवेदन करते रहे हैं या करते हैं। इसके पीछे की कहानी भी बड़ी रोचक है। कुछ किराएदार ये आरोप लगा रहे हैं कि पुराने भवन मालिक जानबूझकर रिपेयर का काम नहीं करवाते हैं और भवनों को असुरक्षित घोषित करवाने की फ़िराक में हैं ताकि कब्जा जमाए बैठे किराएदारों को बाहर निकाला जा सके।
ऐसे भी कई भवन हैं जो गिरने की कगार में हैं लेकिन किराएदार वहां से निकलने को तैयार नहीं है। कई भवनों के मामले कोर्ट में चल रहे हैं तो कई लड़ झगड़कर असुरक्षित भवनों में जोख़िम उठा रहे हैं। नगर निगम की नाक तले माल रोड़ और लोअर बाज़ार में भी कई ऐसे पुराने भवन हैं जो कभी भी गिर सकते हैं। लेकिन असुरक्षित घोषित होने के बाबजूद वहां से किराएदार निकलने को तैयार नहीं। किराएदारों की चिंता है कि उनको दोबारा कम किराए और उसी जगह पर उनकी रोजी रोटी चलाने की जगह नहीं मिलेगी। भवन मालिक उनसे पिण्ड छुड़ाना चाहते है। ऐसे में ये भवन और इनके मामले अधर में लटके पड़े है।
वहीं, सोलन हादसे के बाद नगर निगम भी हरक़त में है। शिमला शहर में अब निगम भवनों का निरीक्षण कर रहा है। इसके बाद अब नगर निगम निरीक्षण किए हुए भवनों को असुरक्षित घोषित करेगा। जो भवन सुरक्षित हैं उनके आवेदनों को रद्द किया जाएगा। फ़िलहाल अभी तक के निरीक्षण में निगम ने 11 भवनों की स्थिति दयनीय पाई है जिनको असुरक्षित घोषित करने की प्रक्रिया जारी है। लेकिन नगर निगम और जिला प्रशासन असुरक्षित भवनों में डेरा जमाए बैठे लोगों को बाहर निकालने में नाकाम ही साबित हुआ है। शायद इसे भी सोलन जैसे बड़े हादसे का इंतजार है।