बिलासपुर जिले में चार लाख की जनसंख्या पर सिर्फ एक लेडीज डॉक्टर तैनात हैं। यह स्थिति भाजपा के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के गृह जिला बिलासपुर की है। गौरतलब है कि जेपी नड्डा केंद्र सरकार में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं। बिलासपुर में स्थित क्षेत्रीय अस्पताल में प्रसूता डॉक्टर के उपलब्ध नहीं होने से गर्भवती महिलाओं को पहाड़ जैसी दिक्कतों का समान करना पड़ रहा है।
पीड़ित महिलाओं ने बताया कि पहले अस्पताल में गर्भवती महिलाओं को अक्सर दाखिल कर लिया जाता है और उसके बाद प्रसूति यानि की डिलीवरी के समय अन्य अस्पतालों के लिए रेफर कर दिया जाता है। उन्होंने बताया कि सरकारी अस्पताल के इस रवैये के चलते लोगों को निजी अस्पतालों की ओर रुख करना पड़ता है।
बिलासपुर क्षेत्रीय अस्पताल के प्रभारी डॉ. राजेश आहलुवालिया ने जानकारी देते हुए बताया कि बिलासपुर जिले में वर्तमान समय में एक ही लेडीज डॉक्टर उपलब्ध है। पीड़ित महिलाओं ने बताया कि निजी अस्पतालों में कोई भी डिलीवरी समान्य ढंग की अपेक्षा ऑपरेशन से करवाई जाती है। निजी अस्पताल वाले डिलीवरी का बिल 30-35 हजार रुपये तक वसूल रहे हैं। वर्तमान समय में निर्धन श्रेणी से संबंधित लोगों को कर्ज लेकर निजी अस्पतालों में प्रसव यानि डिलीवरी करवाने जाना पड़ रहा है।
समय पर उपचार नहीं मिलने से हो जाती है प्रसूता की मौत
आपको मालूम हो कि क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर में लेडीज स्पेशलिष्ट डॉक्टरों की अनुपस्थिति के चलते मां के गर्भ में ही कई बच्चे बेमौत अपना दम तोड़ चुके हैं। इसके अलावा समय पर उपचार नहीं मिलने के चलते गर्भवती महिलाएं भी असमय ही मृत्यु को प्राप्त हो चुकी हैं।
सीआइएचसी में एक भी लेडीज स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं मौजूद
क्षेत्रीय अस्पताल के प्रभारी डॉ। राजेश आहलुवालिया ने जानकारी देते हुए बताया कि बिलासपुर जिले में वर्तमान समय में एक ही लेडीज डॉक्टर उपलब्ध है। सीआइएचसी लेवल के किसी भी अस्पताल में लेडीज स्पेशलिष्ट डॉक्टर उपलब्ध नहीं है। उन्होंने बताया कि जब क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर में कार्यरत लेडीज स्पेशलिष्ट डॉक्टर अपने निजी कार्य से अवकाश पर जाती हैं तो महिलाओं को बहुत ज्यादा परेशानी उठानी पड़ती है। इस संदर्भ में उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग को अवगत करा दिया और शीघ्र लेडीज स्पेशलिष्ट डॉक्टरों की नियुक्ति की मांग की है।