हिमाचल में देसी और अंग्रेजी शराब महंगी हो गई है। प्रदेश सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए देसी शराब और अंग्रेजी शराब के एक्स-डिस्टिलरी मूल्य में वृद्धि की है। शराब बनाने वाले संयंत्रों के उत्पादन की बढ़ती लागत को पूरा करने के लिए एक्स-डिस्टिलरी की कीमत में 5 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। इससे भारत में निर्मित देसी शराब और बोतलबंद अंग्रेजी शराब ब्रांडों की कीमत में लगभग 10 प्रतिशत की औसत बढ़ोतरी होगी। हालांकि चिवस रीगल, ग्लेनलाइवट और ब्लू-लेबल इत्यादि जैसे विदेशों में निर्मित बोतल बंद बीयर, वाइन, साइडर और शराब ब्रांड की एमआरपी दरों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
इस बारे में जानकारी देते हुए राज्य के बिक्री कर एवं और आबकारी आयुक्त डॉ. अजय शर्मा ने आज यहां बताया कि सरकार के संज्ञान में लाया गया है कि शराब बनाने के मूल घटक की लागत गत कई वर्षों में काफी बढ़ गई है। इसी तरह कांच की बोतल और पैकिंग आदि की कीमतों में भी हाल के दिनों में तेजी देखी गई है। उन्होंने कहा कि शराब बनाने के लिये आवश्यक बुनियादी कच्चा माल जीएसटी के तहत आता हैं जबकि शराब पर वैट लगाया जाता है। जीएसटी के तहत लगाए गए करों को वैट के तहत समायोजित नहीं किया जा सकता है जिसके कारण शराब के उत्पादन की लागत बढ़ गई है। इसलिये शराब उद्योग को बचाने के लिए एक्स-डिस्टिलरी की कीमतों में पांच प्रतिशत की मामूली वृद्धि की गई है।
उन्होंने कहा कि शिवास रीगल, ग्लेनलीव्हाईट और ब्लू-लेबल इत्यादि विदेशों में निर्मित बोतल बंद बीयर, वाइन, साइडर और शराब ब्रांड की एमआरपी दरों पर इस वृद्धि का कोई असर नहीं पड़ेगा जबकि भारत में निर्मित देशी शराब और बोतलबंद अंग्रेजी शराब ब्रांडों की कीमत में लगभग 10 प्रतिशत की औसतन बढ़ौतरी होगी। सरकारी खजाने को इस न्यूनतम वृद्धि से 20-25 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है। डॉ. शर्मा ने कहा कि आम तौर पर ईडीपी दरों में वृद्धि प्रत्येक वर्ष एक अप्रैल को की जाती है लेकिन लोकसभा चुनाव चुनावों की आचार संहिता लागू होने के कारण नहीं की जा सकी थी।