हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट द्वारा शिमला के प्रतिबंधित मार्गों पर गाड़ियां रोकने को लेकर विफ़रे वकीलों का रोष बढ़ता जा रहा है। नाराज़ वकीलों ने शिमला डीसी ऑफिस के बाहर प्रदर्शन किया और सरकार और कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ जमकर नारेबाज़ी की। विरोधस्वरूप वकीलों ने 25 जुलाई को प्रदेश भर की अदालतों में कामकाज ठप रखने का मन बनाया है।
हिमाचल वॉर एसोसिएशन के सदस्य अजय शर्मा ने कहा कि वकीलों को कोर्ट के काम से कभी जिला अदालत तो कभी हाइकोर्ट से लेकर कई जगह जल्दी में जाना पड़ता है। लेकिन कोर्ट के आदेशों के बाद प्रतिबंधित मार्गो पर उनकी गाड़ियों को पुलिस द्वारा रोका जा रहा है जो उचित नही है। उन्होंने कहा की इन मार्गों पर वीआईपी और कुत्तों को गाड़ियों में ले जाने की तो इजाज़त है। लेकिन, काम पर जाने वाले वकीलों को रोका जा रहा है। ये अंग्रेजी हकुमत जैसे फरमान है जो देश की आज़ादी के दशकों बाद भी चल रहे है। वकील अपने आंदोलन को तब तक जारी रखेंगे जब तक कि वकीलों की गाड़ियों को प्रतिबंधित मार्गो पर बहाल नही किया जाता है।
शिमला में करीब 14 प्रतिबंधित मार्ग है। जिनमें से 8 रोड़ सील्ड तो 6 रोड़ रिस्ट्रिक्टेड है। जिनको "शिमला रोड़ यूजर एंड पडेस्टीरियन एक्ट 2007" के तहत पब्लिक सेफ्टी के लिहाज़ से रखा गया है। इन मार्गो में सील्ड रोड़ छोटा शिमला से शिमला क्लब, मनचंदा से लक्कड़ बाज़ार, जोधा निवास से रिट्ज, हॉटेल वाइट से रीगल, कैनेडी चौक से गार्टन कैसेल, स्टेट बैंक से मॉल रोड़, स्केंडल पॉइंट से कालीबाड़ी और यूएस क्लब से कॉम्बरमेयर सड़कें शामिल हैं।
जबकि, रिस्ट्रिक्टेड रोड़ में कैनेडी हॉउस से बालूगंज, कार्ट रोड़ से डीसी ऑफिस, संजौली चौक से आईजीएमसी, रामचंद्र चौक से जोधा निवास, कार्ट रोड़ से एसबीआई और शेलेडे स्कूल से जोधा निवास 6 सड़कों को शामिल किया गया है। इन सड़कों पर या तो विशेष वीआईपी या आपातकाल की गाड़ियों ले जाने की इजाज़त है। जबकि, अन्यों की गाड़ियों को ले जाने के लिए गृह विभाग की विशेष अनुमति लेनी पड़ती है। इन मार्गों पर वकीलों को जाने की इजाज़त थी। साथ में पत्रकारों को भी इन सड़कों पर सरकार ने चलने की छूट दे रखी थी लेकिन, ताज़ा आदेशों के बाद वकीलों और पत्रकारों को इन मार्गों पर जाने से रोका जा रहा है। इसी को लेकर वकील अपना काम धंधा छोड़ सड़कों पर है।