शिमला अंग्रेजो की ग्रीष्मकालीन राजधानी रहा है। अंग्रेजों ने शिमला में अपनी सुविधा के लिए कुछ कानून बनाए थे जो अंग्रेजों के भारत छोड़ने के 7 दशकों बाद भी चल रहे है। अंग्रेजो के जमाने में शिमला में चलने के लिए और गाड़ियों के लिए कुछ अलग से सड़कें बनाई गई। ऐसी ही सड़क संजौली से प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल को जोड़ने वाली लगभग डेढ़ किलोमीटर सड़क है। लेकिन ये सड़क प्रतिबंधित मार्ग में रखी गई हैं जहां आम गाड़ी को ले जाने की इजाज़त नहीं है। आपातकाल में गलती से भी कोई मरीज़ को लेकर गाड़ी इस सड़क पर ले आया तो समझो उसकी खैर नहीं। क्योंकि इस मार्ग पर 3000 रुपये तक का चालान कट जाता है।
चाहिए तो ये की इस सड़क को एक तरफा कर दिया जाए ताकि सीरियस मरीज़ को अस्पताल तक पहुंचने में परेशानी न हो लेकिन बिना किसी कारण इस रोड़ को प्रतिबंधित कर रखा है। हालांकि संजौली के लोगों के लिए इस सड़क पर टैक्सी सेवा और बस सेवा दे रखी है। परंतु यदि दूर से कोई मरीज़ जल्दबाजी में आता है तो उसे यहां से आने नहीं दिया जाता है। कई बार इस सड़क को मरीजों की सहूलियत के लिए खोला भी गया। लेकिन वीआईपी कल्चर के चलते फिर से बंद कर दिया जाता है। अब तो इस सड़क के किनारे पैदल रास्ता भी बन चुका है।