कुल्लू की ऊझी घाटी के सेब बगीचों में पिछले कुछ दिनों से मार्सोनिना और अल्टरनेरिया ब्लाइट नामक बीमारी ने हमला बोल दिया है। बीमारी ने अधिकांश बगीचों को अपनी चपेट में ले लिया है। लोग इन बीमारियों की रोकथाम के लिए भटकने पर मजबूर हो रहे हैं। लेकिन बीमारी पर नियंत्रण नहीं हो पाया है। ऐसे में घाटी के बागवान चिंतित हो गए हैं। उद्यान विभाग के पास बीमारियों की पहचान और उनकी रोकथाम की जानकारी देने के लिए विशेषज्ञों की कमी है। ऊझी घाटी सेब उत्पादन का गढ़ है। यहां कोई भी आधुनिक अनुसंधान केंद्र तक नहीं है। इससे बागवानों को क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान केंद्र बजौरा जाना पड़ता है। बीमारी अधिक फैलने से कई बागीचों में अधिकांश पत्ते पेड़ों से गिर रहे हैं। आकस्मिक पतझड़ से नुकसान का असर आगामी फसल पर भी पड़ेगा।
फलोत्पादक मंडल कुल्लू के प्रधान प्रेम शर्मा ने कहा कि बजौरा अनुसंधान केंद्र में भी पत्तों की बीमारी की जांच करने वाले विशेषज्ञ उपलब्ध नहीं है। ऊझी क्षेत्र में आजकल अधिकांश बागीचे मार्सोनिना और अल्टरनेरिया ब्लाइट की चपेट में हैं। इसके बावजूद विभाग अभी तक इन बीमारियों का कोई स्थायी समाधान नहीं कर सका है। फलोत्पादक मंडल ने सरकार से मांग की है कि बजौरा में स्थित अनुसंधान केंद्र की तर्ज पर पतलीकूहल में भी एक आधुनिक अनुसंधान केंद्र खोला जाए। इन बीमारियों की पहचान और निवारण के लिए उद्यानिकी वानिकी विश्वविद्यालय नौणी से पत्र के माध्यम से आग्रह किया है कि शीघ्र अति शीघ्र विशेषज्ञों की टीम को भेजा जाए। तीन दिनों में एक विशेषज्ञों की टीम कुल्लू आएगी।