पहाड़ी प्रदेश हिमाचल में मॉनसून आते ही स्क्रब टायफस लोगों को डराने लगता है। इस सीजन में हिमाचल में स्क्रब टायफस के 207 मामले पॉजीटिव पाए गए हैं। स्क्रब टायफस से प्रदेश में पिछले तीन साल में 90 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि, इस साल स्क्रब टायफस के कारण दो लोगों की मौत हुई है। स्क्रब टायफस के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया है। प्रदेश के सभी अस्पतालों में बुखार के मरीज आते ही उनका स्क्रब टायफस टेस्ट करवाया जाएगा।
स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार ने बताया कि विभाग ने सभी स्वास्थ्य केंद्रों में स्क्रब टायफस रोगियों का मुफ्त उपचार देने के निर्देश जारी किए हैं। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल शिमला, डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल टांडा के बाद अब मंडी के नेरचौक मेडिकल कॉलेज में भी स्क्रब टायफस के टेस्ट की सुविधा उपलब्ध है। घास में पाए जाने वाले एक तरह के पिशु के काटने से स्क्रब टायफस फैलता है। मॉनसून सीजन में कई किसान व बागवान घास काटते या घास वाली जगह जाते है ओर स्क्रब टायफस का शिकार हो जाते हैं। विभाग ने ऐसे लोगों को शरीर ढ़ककर घास वाली जगहों पर जाने की सलाह दी गई है।
हिमाचल में पिछले तीन सालों के आंकड़ों पर नज़र दौड़ाए तो स्क्रब टायफस के 2016 में 1175 मामले पॉजीटिव पाए गए। जिनमें से 37 लोगों की मौत हुई। 2017 में 1484 मामले सामने आए 32 लोगों की मौत हुई इसी तरह 2018 में 1940अमले सामने आए व 21 लोगों की मौत हुई। इस वर्ष अभी तक 207 पॉजिटिव पाए गए है जिनमें से दो की मौत हो चुकी है। ये मामले लगातार बढ़ रहे है।
स्क्रब टाइफस के लक्षण
जोड़ों में दर्द, कंपकपी के साथ बुखार, अकड़न या शरीर का थका हुआ लगना, अधिक संक्रमण, गर्दन, बाजुओं के नीचे, कूल्हों के ऊपर गिल्टियां होना स्क्रब टाइफस के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे किसी भी लक्षण पर मरीज को नजदीक के स्वास्थ्य केन्द्र में जांच करवा लेनी चाहिए।