केंद्र सरकार ने NMC बिल 2019 को लागू करने के विरोध में हिमाचल मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन ने भी अपनी आवाज़ उठाई है। एसोसिएशन ने इसकी निंदा करते हुए इसे ड्रेकानियन बिल करार दिया। उसका मानना है कि इस बल के लागू होने से मेडिकल व्यवसाय की भ्रूण हत्या होगी और स्वास्थ्य सुविधाओं पर इसका उल्टा असर पड़ेगा।
एसोसिएशन के प्रदेश महासचिव डॉ. पुष्पेन्द्र वर्मा ने कहा कि सरकार इस बिल के माध्यम से झोलाछाप डाक्टरों को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है और एमबीबीएस की पढाई पूरी करने वाले डाक्टरों के हितों की अनदेखी की जा रही है। सरकार को घेरते हुए उन्होंने कहा कि सरकार के कहने और करने में अंतर होता है और एनएमसी बिल से डॉक्टरों के हित नज़रअंदाज होंगे।
डॉ. पुष्पेन्द्र वर्मा ने आरोप लगाया कि एमसीआई को भंग कर नए एनएमसी आयोग का गठन पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है। इस आयोग में 25 सदस्यों में 20 के नाम सरकार द्वारा भेजे जाएंगे, जिससे इसकी कार्यप्रणाली पर पहले ही सवाल खड़े हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि बिल के लागू होने के बाद मेडिकल शिक्षा का निजीकरण हो जाएगा और केवल 50 प्रतिशत छात्र ही सरकारी सीटों पर दाखिला ले सकेंगे। सरकार से मांग करते हुए कहा कि सरकार डाक्टरों के रिक्त पदों को भरने के लिए कदम उठाए और पूरे देश में एक सामान वेतन पद्धति को लागू करें। बिल के कारण स्वास्थ्य सेवाओं पर भी प्रभाव पड़ेगा।