मुस्लिम महिलाओं से एक साथ तीन बार तलाक-तलाक-तलाक बोलने को अपराध करार देने वाले ऐतिहासिक विधेयक को बुधवार देर रात राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपनी मंजूरी दे दी। राष्ट्रपति के इस विधेयक पर हस्ताक्षर करने के साथ ही अब विवाह अधिकार संरक्षण बिल कानून बन गया है। इस कानून को 19 सितंबर 2018 से लागू माना जाएगा। इससे पहले मंगलवार को राज्यसभा ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक को अपनी स्वीकृति दी थी।
संसद के उच्च सदन राज्यसभा में विवाह अधिकार संरक्षण बिल के पक्ष में 99 वोट पड़े, जबकि 84 सांसदों ने इसके विरोध में मतदान किया था। BSP, PDP, TRS, JDU, AIDMK और TDP जैसे कई दलों के वोटिंग में हिस्सा न लेने के चलते सरकार को यह बिल पास कराने में आसानी हुई। बिल की मंजूरी से विपक्ष की कमजोर रणनीति भी सामने आई। इस विधेयक का तीखा विरोध करने वाली कांग्रेस कई अहम दलों को अपने साथ बनाए रखने में असफल रही।
राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद इस कानून ने अब तीन तलाक को लेकर 21 फरवरी को जारी किए गए मौजूदा अध्यादेश की जगह ले ली है। इससे पहले बिल को सेलेक्ट कमिटी के पास भेजने का प्रस्ताव भी 100 के मुकाबले 84 वोटों से गिर गया था। राज्यसभा में यह बिल पास होना सरकार के लिए बड़ी कामयाबी माना जा रहा है क्योंकि उच्च सदन में अल्पमत में होने के चलते उसके लिए इस बिल को पास कराना मुश्किल था।