अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी धीमान ने प्रदेश में स्थित सीमेंट उद्योगों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि सीमेंट उद्योगों को चीड़ की पत्तियों और लैंटाना से बनी ब्रीकेट्स/पैलेट्स को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने के लिए आगे आना चाहिए। राज्य सरकार ने जंगलों को आग से बचाने के लिए चीड़ की पत्तियों पर आधारित उद्योग स्थापित करने के लिए 50 प्रतिशत अनुदान राशि प्रदान करने के लिए पिछले वर्ष एक योजना आरंभ की है। इस साल सरकार ने कुल 25 लघु उद्योग स्थापित करने का लक्ष्य रखा है जिनमें दो उद्योगों की स्थापना की जा चुकी है।
बैठक में निर्णय लिया गया कि सीमेंट उद्योगों में ईधन की कुल लागत का 0.1 प्रतिशत भाग बायोमास (जिसमें चीड़ की पत्तियां एवं लैंटाना और आरडीएफ शामिल है), को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने का प्रावधान बढ़ाकर एक प्रतिशत कर दिया जाएगा। पर्यावरण विभाग शीघ्र ही इस संदर्भ में आदेश जारी करेगा। इस निर्णय से प्रदेश में चीड़ की पत्तियों जैसे अत्यंत ज्वलनशील एवंम लैंटाना जैसे बायोमास का इस्तेमाल हो सकेगा जो अमूल्य वन संपदा को आग से बचाने में सहायक सिद्ध होगा। साथ ही लैंटाना ग्रसित क्षेत्रों का भी सुधार हो सकेगा तथा इन क्षेत्रों में चरागाहों और वनों को दोबारा स्थापित करने में मदद मिलेगी। चीड़ की पत्तियों और लैंटाना के आधार पर स्थापित किये जा रहे लघु उद्योगों में बनाये जा रहे ब्रीकेट्स/पैलेट्स को सीमेंट उद्योग ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने के लिए 10 रूपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीदा जाएगा। इससे स्थानीय लोगों और किसानों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।
बैठक में सुझाव दिया गया कि चीड़ की पत्तियों पर आधारित लघु उद्योग की स्थापना के लिए दिए जा रहे 50 प्रतिशत अनुदान की योजना का लाभ लैंटाना पर आधारित उद्योगों को भी मिलना चाहिए। आरडी धीमान ने कहा कि इस बारे में शीघ्र ही वन विभाग से मामला उठाया जाएगा। इस दौरान विधायक होशियार सिंह ने भी अपने बहुमूल्य सुझाव दिए और लैंटाना से बने ब्रीकेटस/पैलेट्स के सैंपल भी दिखाए। आईआईटी मंडी की सहायक प्रवक्ता डॉ. आरती कश्यप ने ब्रीकेटस/पैलेटस पर हुए अनुसंधान के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि अनुसंधान के अनुसार चीड़ और लैंटाना की पत्तियों की उष्मीय ऊर्जा उद्योगों में ईधन के लिए उपयुक्त पाई गई है।