प्रदेश में क्लीनिकल स्टेब्लिशमेन्ट एक्ट 2010 को लागू न करने पर हाईकोर्ट ने सरकार से शपथ पत्र देने के निर्देश जारी किये हैं। बेट्रस फ़ोर्स फॉर ट्रांस्फेंसी इन पब्लिक लाइफ संस्था द्वारा क्लीनिकल स्टेब्लिशमेन्ट एक्ट 2010 लागू करवाने को लेकर याचिका दायर की थी। मंगलवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के सचिव से इसको लेकर शपथ पत्र देने को कहा है।
बेट्रस फॉर्म फॉर ट्रांस्फेंसी इन पब्लिक लाइफ संस्था के अध्यक्ष निधि चंद लगवाल ने कहा कि क्लीनिकल स्टेब्लिशमेन्ट एक्ट 2010 में लाया था और 2012 में इसे लागू करने के निर्देश दिए थे लेकिन 9 साल बीत जाने के बाद भी राज्य सरकारें इसे लागू नहीं कर रही हैं। हिमाचल में इसे लागू करवाने के लिए 2016 में हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी और आज कोर्ट ने संस्था के हक में फैसला देते हुए सरकार को सख्ती से इसे लागू करने के निर्देश दिए और जल्द शपथपत्र देने को कहा है।
मामले में अगली सुनवाई 4 सितम्बर को होगी। उन्होंने कहा कि क्लीनिकल स्टेब्लिशमेन्ट एक्ट 2010 लागू होने से जहां अस्पतालों में रेट लिस्ट दर्शनी होगी वहीं सरकारी निजी अस्पतालों और क्लीनिक में उचित स्टाफ और भवन की व्यवस्था करनी होती है। प्रदेश में अभी एक दो कमरों में क्लीनिक और अस्पताल चलाये जा रहे हैं और लोगों से मनमर्जी के पैसे वसूले जा रहे हैं, लेकिन इस एक्ट के लागू होने से लोगों को ज्यादा पैसे नहीं देने पड़ेंगे।