देश के देश के पिछड़े 115 जिलों की सूची में जिला चंबा के शुमार होने के कई आधार हैं और इसमें जिले की कमजोर स्वास्थ्य सेवाएं भी इसमें शामिल हैं। यूं तो जिला चंबा के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाने के नाम पर कई स्वास्थ्य भवन बनाए गए हैं। लेकिन, चिकित्सकों और अन्य पैरामेडिकल स्टाफ की कमी से यह स्वास्थ्य भवन जूझ रहे हैं। परिणाम स्वरूप कई स्वास्थ्य केंद्र तो स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर महज खानापूर्ति करने का ही काम करते हुए नज़र आते हैं। इसी सूची में डलहौजी विधानसभा क्षेत्र के दायरे में आने वाली ग्राम पंचायत वांगल में मौजूद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र वांगल का नाम शामिल है।
स्थानीय लोगों की माने तो इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर क्षेत्र की 10 पंचायतों में रहने वाले हजारों लोगों के स्वास्थ्य का जिम्मा है लेकिन, यह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र इस कदर राजनैतिक प्रकोप का शिकार है कि यहां तैनात होने वाला डॉक्टर चंद दिनों के बाद ही बदल दिया जाता है और यह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अक्सर डॉक्टर को ही तरसता रहता है। यह स्थिति क्षेत्र की उन पंचायतों के लोगों के लिए बेहद पीड़ा दायक है जोकि अपने इलाज के लिए इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर निर्भर हैं। लंबे समय तक पीएचसी में चिकित्सक का पद खाली चला हुआ था लेकिन सत्ता बदलने के बाद लोगों की उम्मीदों के अनुरूप इस केंद्र में चिकित्सक की तैनाती होने के चलते लोगों को घर-द्वार पर स्वास्थ्य सुविधा मिलने लगी। सत्ता परिवर्तन के साथ इस पीएचसी केंद्र के हालात भी बदले लेकिन लोग अभी इस बदली हुई परिस्थिति का पूरी तरह से लाभ उठा भी नहीं पाए थे कि 2 माह पूर्व ही यहां तैनात डॉक्टर को यहां से बदल दिया गया। सरकार ने इस स्वास्थ्य केंद्र को एक बार फिर चिकित्सक से वंचित कर दिया और यही कारण है कि अब क्षेत्र के लोगों को एक बार फिर बेहतर स्वास्थ्य सुविधा प्राप्त करने के लिए तरसना पड़ रहा है।
वर्तमान में यहां कि स्वास्थ्य सेवा का पूरा दायित्व इस स्वास्थ्य केंद्र में देना फार्मासिस्ट के कंधों पर है। ऐसे में यहां तैनात फार्मासिस्ट को अगर सरकारी कार्य के चलते इधर-उधर जाना पड़ता है या फिर निजी कार्य की वजह से वह छुट्टी पर जाता है तो इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कि स्वास्थ्य सुविधा पूरी तरह से ठप पड़ जाती है। ऐसा ही नजारा उस समय देखने को मिला जब इस पीएसी में तैनात फार्मासिस्ट किन्ही कारणों के चलते दोपहर 12:00 बजे तक केंद्र में नहीं पहुंच सके तो सुबह के समय अपने इलाज के लिए इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की ओर रुख करने वाले स्थानीय लोगों को निराश होना पड़ा। लोगों का कहना है कि अक्सर उन्हें इस प्रकार की परेशानी झेलनी पड़ती है लेकिन विभाग ने अभी तक लोगों की इस परेशानी का समाधान करने में कोई रुचि नहीं दिखाई है। नतीजतन दस पंचायत के लोगों के लिए यह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र महज सफेद हाथी बना हुआ है।