हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान शिमला द्वारा सिंधु नदी बेसिन के अंतर्गत ब्यास नदी का वानिकी गतिविधियों के माध्यम से पुनरूद्धार करने के उद्देश्य से विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने हेतु सलाहकार बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में राज्य सरकार के वन विभाग के उच्च अधिकारियों , क्षेत्रीय कर्मियों के अतिरिक्त कृषि, ग्रामीण विकास, बागवानी, पशु पालन विभाग तथा कई गैर सरकारी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक की अध्यक्षता वन अरण्यपाल वन वृत हमीरपुर अनिल जोशी ने की। उन्होंने कहा कि जिला हमीरपुर के लोगों के लिए वनों का बहुत महत्व है तथा ब्यास नदी के जल ग्रहण क्षेत्र में वानिकी हस्तक्षेपों से यहां के भौगोलिक क्षेत्र के जलवायु परिवर्तन में भी मदद मिलेगी। बैठक के दौरान विशेष अतिथि प्रदीप ठाकुर मुख्य वन अरण्यपाल (वन्य जीव) धर्मशाला ने जल अधिग्रहण क्षेत्रों में वानिकी उपचारों के बारे में कई उपयोगी सुझाव दिए। उन्होंने हिमाचल प्रदेश में जल संरक्षण की विभिन्न प्रौद्योगिकियों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी।
इस मौके पर निदेशक हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान शिमला डा. शेर सिंह सामंत ने ब्यास नदी के पुनरूद्धार के लिए परियोजना के क्रियान्वयन तथा आरम्भिक रूप-रेखा बनाने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव सांझा किए। उन्होंने कहा कि यह केन्द्र सरकार की एक महत्वपूर्ण परियोजना है जो कि एक चुनौतीपूर्ण कार्य है जिसे हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर, कांगडा़, मंडी तथा कुल्लू जिलों के कठिन क्षेत्रों में क्रियान्वित किया जाना है। इसमें विभिन्न सम्बंधित विभागों विशेषकर वन विभाग का सहयोग अहम रहेगा। उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण तकनीकी पहलुओं की जानकारी प्रदान करने के साथ कई कारगर सुझाव भी दिए। परियोजना के सफलतापूर्वक क्रियान्वयन के लिए उन्होंने सभी सम्बंधित विभागों के अधिकारियों से संस्थान को सहयोग करने का आग्रह किया।
मुख्य तकनीकी अधिकारी हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान शिमला विनोद कुमार ने पॉवर प्वांईट प्रस्तुति के माध्यम से हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान शिमला के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह संस्थान पश्चिमी हिमालयी राज्यों हिमाचल प्रदेश तथा जम्मू कश्मीर में वानिकी एवं अनुसंधान तथा पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है। उन्होंने ब्यास नदी की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के बारे में पावर प्वाईट प्रस्तुति के माध्यम से विस्तार से जानकारी प्रदान की। बैठक के दौरान संपूर्ण सत्रों में ब्यास नदी की स्थानीय परिस्थितियों को लेकर कृषि, ग्रामीण विकास, बागवानी, पशु पालन तथा अन्य विभागों के अधिकारियों के अतिरिक्त प्रमुख हितधारकों , गैर सरकारी संस्थाओं के प्रतिनिधियों तथा सदस्यों ने भी अपने-2 महत्वपूर्ण सुझाव दिए।