चंबा जिला की राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय डियुर के बच्चों को मौत के साए में शिक्षा ग्रहण करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस स्कूल की खस्ता हालत को देखते हुए कुछ महीनों पूर्व उपमंडल प्रशासन ने भवन की मजबूती का पता लगाने के लिए एक कमेटी गठित की थी। इस कमेटी ने स्कूल भवन की जांच प्रक्रिया करने के पश्चात इसे सुरक्षा की दृष्टि से असुरक्षित घोषित कर दिया। इस वजह से स्कूल के इस भवन परिसर में कक्षाएं लगाने से मना तो कर दिया गया लेकिन यहां शिक्षा ग्रहण करने वाले 350 बच्चों के लिए विभाग ने कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की। यही वजह है कि स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने वाले इन बच्चों को स्कूल के सुरक्षित महज तीन कमरों में ही पढ़ाई करनी पड़ रही है।
बच्चों की अधिक संख्या के आगे तीन कमरे कम पड़ने की वजह से कुछ कक्षाओं को स्कूल के बहार मैदान में लगाने के लिए अध्यापक मजबूर हैं। गर्मियों में जहां इन बच्चों को खुले आसमान के तले तेज धूप में पढ़ाई करने में बेहद दिक्कत पेश आती है। तो वहीं बारिश के दिन इन तीन कमरों में इन 350 बच्चों को मवेशियों की तरह एक दूसरे के साथ सटकर बैठना पड़ता है। बारिश वाले दिन स्कूल की पढ़ाई व्यवस्था पूरी तरह से ठप पड़ जाती है। क्योंकि छठी से लेकर जमा दो तक की कक्षाओं को महज तीन कमरों में ही शिक्षा देना संभव नहीं हो पाता है। अफसोस की बात है कि स्कूल भवन को असुरक्षित घोषित किए कई महीने बीत चुके हैं लेकिन अभी तक इसे उखाड़ने वह इसके स्थान पर नए भवन का निर्माण करने की कोई भी प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है।
वहीं स्कूल को लेकर बच्चों का कहना है कि धूप और बारिश में हमे बाहर बैठना पड़ता है और स्कूल की बिल्डिंग काफी अनसेफ हो चुकी है जो कभी भी गिर सकती है। वहीं, बच्चों के अभिभावको का कहना कि स्कूल की बिल्डिंग अनसेफ हो चुकी ओर बच्चों को बैठने के ये तीन ही कमरे हैं जिससे काफी दिक्कत है। और प्रशासन कुछ नहीं कर रहा है। स्कूल के प्रिंसिपल का कहना है कि ये स्कूल डिस्मेंटल हो चुका है और थोड़े टाइम बाद इसको गिरा दिया जाएगा। चंबा के उपायुक्त दीपक भाटिया का कहना है कि आज इस बारे में जानकारी मिली है और डिप्टी डिरेक्टर हायर एजुकेशन को इस बारे में आर्डर दे दिए गए है।