हिमाचल प्रदेश विधानसभा की 12वें दिन सदन में आउटसोर्स कर्मचारियों का मुद्दा जोरो शोरों से उठाया गया। कांग्रेस विधायक मोहन लाल बराग्टा, विक्रमादित्य सिंह और नेता विपक्ष के आउटसोर्स को लेकर सवाल किया। उन्होंने कहा नियमितीकरण और आरक्षण को लेकर सरकार की क्या योजना है? आउटसोर्स कर्मचारी का कब तक शोषण होता रहेगा? आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए भी नीति निर्धारण होना चाहिए और नियमितिकरण पर क्या विचार है?
इसपर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में 12,165 आउटसोर्स कर्मचारी 94 कंपनी द्वारा रखे गए हैं। जिनके लिए साल के 153 करोड़ व्यय हो रहे है। इसमें से 23 करोड़ कंपनियों को जाता है। पिछले कई साल से आउटसोर्स पर लोगों को रखा जाता है। सरकार ने बीते एक साल 3100 लोगों को आउटसोर्स पर नियुक्तियां दी हैं।
फिलवक़्त में शोषण को कम करने के लिए बढ़ी हुई दिहाड़ी दी जा रही है। साढ़े 7 सौ रुपये मासिक बढ़ाया गया है। कंपनियों को कर्मचारी का शोषण नहीं करने दिया जाएगा। शिकायत मिलने पर कंपनी कार्रवाई की जाएगी। कर्मियों को रेगूलर करने पर अभी कोई विचार नहीं है।
वहीं, विपक्ष ने कहा कि वे आउटसोर्स कर्मचारी के भविष्य को लेकर चिंतित है। बिचौलियों को बाहर करके सीधा फायदा आउटसोर्स कर्मचारी को देने के लिए सरकार कोई पॉलिसी बनाये ताकि आउटसोर्स कर्मचारियों को कुछ लाभ मिल सके।