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अब जबरन धर्म परिवर्तन कराने वालों की खैर नहीं, विधानसभा में धर्म की स्वतंत्रता विधेयक पारित

पी. चंद. शिमला |

विधानसभा में  हिमाचल प्रदेश धर्म की स्वतंत्रता विधेयक 2019 भी पारित किया गया। इससे पहले कांग्रेस के सदस्यों और माकपा सदस्य राकेश सिंघा ने इस बिल पर कुछ आपत्तियां भी जाहिर की और कहा की नए धर्म परिवर्तन बिल में झूठे मामले बनाएं जा सकते हैं। साथ ही छुआछूत जैसी कुरीतियों को दूर करने का प्रावधान किया जाए। इसमें कुछ चीजें गलत हैं उसमें संसोधन लाया जाए। कांग्रेस की विधायक आशा कुमारी ने बताया कि वीरभद्र सिंह ने  2006 में भी इसको लेकर बिल लाया था उसी बिल को लाया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि सरकार बिलों को बिना तैयारी के सदन में रख रही है। हम बिल के विरोध में नही हैं लेकिन ये नया बिल गलत है।

लेकिन सत्ता पक्ष के सदस्यों की तरफ से कहा गया कि धर्म परिवर्तन की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए इस बिल को लाया गया है। क्योंकि पैसे का लालच देकर धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है। अब इस बिल में जबरन धर्म परिवर्तन करवाने वालों के ख़िलाफ़ सजा का प्रावधान रखा गया है।

संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि वीरभद्र सिंह जब इस बिल को लाये थे उनका स्वागत किया गया था। उसमें 8 सेक्शन थे ओर वह बिल छोटा था। अब इस कानून को विस्तृत रूप दिया गया है। पहले के कानून में 2 वर्ष की सजा का प्रावधान था अब इसको बढ़ाकर 5 साल कर दिया गया है। बिल में ये भी प्रावधान किया गया है कि विवाह के लिए धर्म परिवर्तन करना गलत माना गया। धर्म परिवर्तनों के नाम पर चलने वाली संस्थाओं को बंद करने का भी प्रावधान रखा गया है। इसमें गैरजमानती प्रावधानों को भी जोड़ा गया है।

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि 2006 और आज के बिल में भावनाएं एक जैसी हैं। लेकिन बढ़ते जबरन धर्म परिवर्तन के मामले चिंता का विषय हैं। जिसको रोकने के लिए नया कारगर  बिल लाए हैं ताकि इसको सख्ती से लागू किया किया जा सके। क्योंकि 2006 में लाए गए बिल के तहत एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ। एनजीओ के नाम पर प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन करवाना गलत है। इससे पहले 7 राज्य इस कानून को पारित कर चुके हैं। इसी के साथ सर्वसम्मति से इस बिल को पारित कर दिया गया।