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सिर्फ टेंडरों तक सिमट चुकी है वर्दी योजना, फटी-पुरानी वर्दी पहन स्कूल आने को मजबूर हुए बच्चे

समाचार फर्स्ट डेस्क |

हिमाचल में शिक्षा के क्षेत्र में करोंड़ो रुपये खर्च करने के प्रदेश सरकार के दावे पूरी करहग से हवा हो गए हैं। हालात ये है कि राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई कर रहे गरीब बच्चों का ध्यान पढ़ाई से ज्यादा फटी वर्दी पर है। साल 2017 में सरकार से बच्चों को मिली वर्दी का कपड़ा आज दो साल बाद पहनने लायक नहीं रहा है। वहीं दो साल में बच्चों की कद-काठी में भी बदलाव आ चुका है। ऐसे में दो साल पुरानी इस वर्दी से बच्चे ठीक से अपना तन नहीं ढक पा रहे हैं। सरकारी स्कूल में पढ़ाई कर रहे बच्चे फटी वर्दी में रोज शर्मसार हो रहे हैं।

हालांकि, अभिभावक घर में ही वर्दी को टांके और सेफ्टी पिन से जोड़कर काम चला रहे थे, लेकिन अब नौबत यह आ गई है कि कपड़े पर सेफ्टी पिन भी नहीं लगती। साल 2017 के बाद से सरकार सरकारी स्कूलों के बच्चों को आए दिन वर्दी देने के वायदे तो कर रही है, लेकिन कांगड़ा जिले के कई अन्य जिलों में भी स्कूली बच्चों को वर्दी नहीं मिल पाई है।

राज्य में सरकार बनते ही बदला था नाम

राज्य में भाजपा सरकार बनते ही सबसे पहले महात्मा गांधी वर्दी योजना का नाम बदलकर अटल वर्दी योजना करने की घोषणा की। साथ ही साल में दो बार वर्दी के साथ पहली, तीसरी, छठी और नौंवी कक्षा के विद्यार्थियों को निशुल्क बैग देने की भी घोषणा की, लेकिन बच्चों को अब तक न वर्दी मिली और न ही बैग।

टेंडरों तक सिमट चुकी है वर्दी योजना
 
सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले करीब नौ लाख विद्यार्थियों को वर्दी देने की योजना टेंडर तक सिमट गई है। राज्य सरकार ने वर्दी के लिए ई-टेंडर आमंत्रित किए थे। इसमें सरकार एक साथ तीन साल की वर्दी खरीदने जा रही थी।

इसके तहत पहली से जमा दो कक्षा तक के विद्यार्थियों को स्मार्ट वर्दी के दो-दो सेट और पहली से दसवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को सिलाई का पैसा देने की भी घोषणा की थी। इसमें 2018-19 के लिए 8,54,900 सेट खरीदे जाने थे। इसमें 4,26,192 लड़कों और 4,28,708 लड़कियों के लिए वर्दी खरीदी जानी थी।

वर्दी देने के लिए डेट निदेशक कार्यालय से मिलती है, अभी तक कांगड़ा को वर्दी की डेट नहीं मिली है। जैसे ही वर्दी आ जाएगी, बच्चों को बांट दी जाएंगी।