आखिरकार लंबी जद्दोजहद और कानूनी लड़ाई के बाद आधा अधूरा ही सही टाउन हॉल नगर निगम के मेयर व डिप्टी मेयर को मिल गया है। हाई कोर्ट ने शुक्रवार को टाउन हॉल में महापौर और उप महापौर को बैठने की इजाज़त दे दी है। नगर निगम शिमला के दूसरे कार्यालय डीसी ऑफिस की ईमारत से ही चलेंगे। हालांकि भवन के दूसरे हिस्से का किस कार्य के लिए प्रयोग होगा इस पर कोर्ट ने फैसला नहीं सुनाया है।
नगर निगम शिमला की महापौर कुसुम सदरेट ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया और कहा कि टाऊन हॉल नगर निगम की ही संपति रही है। लेकिन जीर्णोद्धार के बाद मामला उच्च न्यायालय में चला गया। पर्यटन विभाग की भी इस पर नज़र है। याचिकाकर्ता ने टाऊन हॉल में म्यूजियम या पुस्तकालय बनाने की मांग की थी ताकि इस ईमारत को शिमला सहित पर्यटकों के लिए दिए जाने का प्रस्ताव था। लेकिन कोर्ट ने आज जो फ़ैसला सुनाया है उसका व स्वागत करते है।
गौरतलब है कि शिमला का टाउन हॉल नगर निगम शिमला से चलता था। लेकिन 2014 में इसको जीर्णोद्धार का कार्य एडीवी से कर्ज लेकर पर्यटन विभाग को दे दिया गया था। जिस पर करीब 8 करोड़ से ज्यादा रुपये खर्च हुआ हैं। जीर्णोउधार के बाद सीएम जयराम ने नवंबर 2018 में इसका उद्घाटन भी कर दिया लेकिन जिसके बाद ये मामला कोर्ट में चला गया था। नगर निगम ने इस भवन को दोबारा से निगम को देने की अपील की थी लेकिन पर्यटन निगम और भाषा एवं संस्कृति विभाग ने भी इस भवन पर अपनी दावेदारी पेश की थी।