बीजेपी के वरिश्ठ नेता एवं हिमाचल प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा कि केन्द्र सरकार ने लंबे सोच-विचार के बाद देश में सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए एक नया कानून बनाया। नितिन गडकरी जी ने उसके लिए बहुत परिश्रम किया था। भारत में दुनिया में सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं होती हैं और लोग मारे जाते हैं। लोकसभा में सभी दलों ने इस कानून का समर्थन किया था। अब उस कानून को लागू करते ही पूरे देश में विरोध के स्वर उठने लगे हैं। कुछ राज्य सरकारों ने कानून लागू नहीं किया या जुर्माने की राशी आधी कर दी है।
उन्होंने कहा कि 70 साल की आजादी के बाद भी यह देश नियम और अनुशासन निभाने के लिए तैयार नहीं है। विश्व में भारत के बाद आजाद होने वाले कुछ छोटे-छोटे देश विकास में हमसे बहुत आगे बढ़ गये। कुछ देशों ने गरीबी और बेरोजगारी को पूरी तरह दूर कर दिया। दुनिया के उन खुशहाल देशों में और भारत में केवल एक बुनियादी फर्क है। वहां के लोग हर नियम प्रसन्नता से निभाते है और भारत के लोग नियम तोड़ कर प्रसन्न होते हैं।
शांता कुमार ने कहा है कि इस कानून को निभाना तो सड़क पर चलने वालों की सुरक्षा के लिए है। उन्हें टीवी में यह देख कर बड़ी हैरानी हुई है कि कुछ लोग जुर्माने की राशी को सुनकर आग बाबुला हो रहे हैं। उन्हें किसी ऐसे घर में ले जाना चाहिए जिस घर का मुखिया सड़क दुर्घटना में मर गया और जिसकी विधवा पत्नी अपने छोटे-छोटे बच्चों को पालने के लिए जिन्दगी का बोझ ढो रही है। उन्हें इस बात का दुख है कि राज्य सरकारें भी इस कानून को निभाने में उत्साह नहीं दिखा रही है। जब सरकार की और से कानून बन गया और सबको उस कानून की जानकारी दे दी गई तो फिर कानून निभाया क्यों नहीं जाए। जबकि वह उनकी सुरक्षा के लिए ही है।
शांता ने नितिन गडकरी से आग्रह किया है कि वे इस कानून में किसी भी प्रकार की ढिलाई स्वीकार न करें। 70 साल की आजादी के बाद भी देश के नागरिक इस नियम को निभाने के लिए तैयार नहीं। शराब पी कर गाड़ी चलाने वाला कह रहा है कि वह शराब नहीं छोड़ सकता। जुर्माना होने पर उसका जुर्माना कम कर दिया जाए। निर्दोश लोगों के जीवन की सुरक्षा के लिए बनाये गये इस कानून को सभी को सख्ती के साथ निभाना चाहिए।