शिमला की 'आब्जरवेटरी हिल्स' पर बने उच्च अध्ययन संस्थान की खूबसूरती लाजवाब है। अंग्रेजों ने इसे वायसरीगल लॉज के रूप में स्थापित किया था। अंग्रेजों के इतिहास में ऐसा उदाहरण विरला ही होगा जब उन्होंने विश्व में कभी ऐसा भवन तैयार किया हो। इस वायसरीगल लॉज के लिए स्थान का चयन खुद लार्ड लिटन ने किया। ये संस्थान आज भी शिमला आने वाले सैलानियों की पसंदीदा सैरगाह है।
शिमला में वायसरीगल लॉज में ओक का पेड़ है। जो कि संस्थान के पीछे आज भी खड़ा है। कहा जाता है कि वायसराय मिंटो की धर्मपत्नी ने एक बार इस पेड़ को कटवाने की कोशिश की थी। इस पेड़ के नीचे एक साधु तप करता था उसको भी वहां से भगा दिया। ऐसा करने पर साधु ने मिंटो की पत्नी को शाप दे दिया। नतीज़तन वह बीमार हो गई और बीमारी के कारण दम तोड़ गई। ये पेड़ आज भी अपनी जगह है। उसके बाद से आज तक इस पेड़ को काटने की कोई हिम्मत नहीं कर सका।