हिमाचल की जेलों में सजा काटने के दौरान नौकरी और अन्य काम कर रहे कैदी 18 राज्यों सहित दो केंद्र शासित प्रदेशों के जेल के वरिष्ठ अधिकारियों से मन की बात कर रहे है। शिमला में हिमाचल जेल विभाग और केंद्रीय गृह मंत्रालय के पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के संयुक्त तत्वावधान में जेल अधिकारियों के लिए दो दिवसीय सेमिनार आयोजित किया जा रहा है। इसके माध्यम से कैदी सजा के दौरान जेल से बाहर जाकर काम करने के अपने अनुभव को सांझा कर रहे है। ये भी निकलकर सामने आया कि कैदियों के पुनर्वास के लिए सरकारों को मदद करनी चाहिए। ताकि कैदियों उनकी योग्यता के मुताबिक मिल सके। कार्यक्रम का शुभारंभ राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने किया।
राज्य पाल ने जेल विभाग के इस प्रयास की सराहना की और कहा कि कैदियों को रोज़गार के माध्यम से समाज की मुख्य धारा से जोड़कर और उनका ह्रदय परिवर्तन करना अपने आप मे बहुत बड़ा काम है। ऐसा पहली बार हुआ जब दूसरी जेलों के अधिकारी और जेल के कैदी एक ही छत के नीचे अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं।
डीजी जेल सोमेश गोयल ने बताया कि इस सेमिनार में कैदियों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने, कैदियों को सकारात्मक कार्य में व्यस्त करने के लिए मूलभूत ढांचा तैयार करना आदि पर चर्चा होगी। उन्होंने बताया कि कैदियों को जेलों से काम का रास्ता दिखाएं ताकि जेल के अंदर और बाहर उनको काम मिल सके।
हिमाचल में ये प्रयास किया है जो काफ़ी हद तक सफल रहा है। इसके अलावा मध्यप्रदेश, तमिलनाडु और पंजाब के वरिष्ठ जेल अधिकारी दस-दस मिनट की प्रेजेंटेशन भी देंगे। इस दौरान काफी टेबल बुक "हर हाथ को काम" रिलीज की जाएगी। इस बीच ऐसे उद्योगपतियों को भी सम्मानित किया जाएगा, जिन्होंने कैदियों को काम देने में मदद की। समापन पर दूसरे दिन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर मुख्य अतिथि होंगे।