सीटू राज्य कमेटी हिमाचल प्रदेश ने आईजीएमसी प्रबंधन और रेनबो सिक्योरिटी एंटरप्राइज के खिलाफ भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोप लगाए हैं। सीटू ने मांग की है कि कुल तीन करोड़ रुपये के ठेके में एक वर्ष में लगभग एक करोड़ 10 लाख रुपये के घोटाले और अन्य अनियमितताओं की हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीश की अध्यक्षता में न्यायिक जांच की जाए व दोषियों पर सख्त कार्रवाई अमल में लायी जाए। सीटू राज्य कमेटी इस संदर्भ में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश को पत्र लिखकर न्यायिक जांच की मांग करेगी।
वीरवार को शिमला में मीडिया को सम्बोधित करते हुए सीटू के राज्याध्यक्ष ने कहा कि आईजीएमसी भ्रष्टाचार का अड्डा बना हुआ है। उन्होंने इस भ्रष्टाचार में सीधे आईजीएमसी प्रबंधन की भूमिका की न्यायिक जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि आईजीएमसी में जिस रेनबो सिक्योरिटी एंटरप्राइज को सिक्योरिटी का ठेका दिया गया है,उसका आबंटन नियमों के विपरीत हुआ है। योग्यता में ऊपर कई कम्पनियों को बाहर करके प्रबंधन की मिलीभगत से इस कार्य को अनुभव व गुणवत्ता में सबसे नीचे रेनबो कम्पनी को दे दिया गया। भ्रष्टाचार की शुरुआत यहीं से हुई व जो लगातार बढ़ती गयी। इस कम्पनी को जो कॉन्ट्रैक्ट दिया गया उसकी सेवा शर्तों के अनुसार कुल 187 सुरक्षा कर्मचारियों का ठेका इस कम्पनी को दिया गया। परन्तु इस कम्पनी ने केवल 137 लोग कार्य पर नियुक्त किये। इस कम्पनी के प्रबंधन ने चिकित्सा अधीक्षक के साथ मिलकर 50 कम लोग इस कार्य पर लगाए व आईजीएमसी के इतिहास में सबसे बड़े घोटाले को जन्म दिया।
उन्होंने कहा कि इस ठेके में 50 लोगों की कम भर्ती करके कम्पनी प्रबंधन हर साल 48 लाख रुपये का घोटाला कर रहा है। यह पैसा रेनबो सिक्योरिटी कम्पनी प्रदेश सरकार व आईजीएमसी प्रबंधन से ले रही है परन्तु 50 सुरक्षा कर्मियों की भर्ती न होने से यह पैसा रेनबो सिक्योरिटी की जेब में जा रहा है। इस कम्पनी ने पिछले एक वर्ष में मजदूरों के ईएसआई मेडिकल फंड का 12 लाख 11 हज़ार 760 रुपये सिक्योरिटी कर्मियों के खाते में नहीं डाला है। इसी तरह 21 लाख 54 हज़ार 240 रुपये की मजदूरों की एक वर्ष की ईपीएफ राशि कम्पनी प्रबंधन ने जमा नहीं करवाई है। मजदूरों की छुट्टियों का लगभग 14 लाख 96 हज़ार रुपये कम्पनी प्रबंधन खा गया है। कुल चार सुपरवाइजरों व चीफ सिक्योरिटी ऑफिसर के वेतन में एक वर्ष में लगभग 14 लाख रुपये का डाका डाला गया है। इस तरह कुल मिलाकर एक करोड़ 10 लाख रुपये के महाघोटाले को रेनबो कम्पनी ने अंजाम दिया है जिसे चिकित्सा अधीक्षक का खुला समर्थन रहा है। कुल ठेका राशि की 40 प्रतिशत राशि रेनबो कम्पनी व आईजीएमसी प्रबंधन हड़प कर गए हैं। इस तरह आईजीएमसी भ्रष्टाचार का केंद्र बना हुआ है। इस भ्रष्टाचार में ठेकेदार के साथ आईजीएमसी प्रबंधन की भमिका की जांच आवश्यक है।
जांच के मुख्य बिंदु
1. 187 कुल सुरक्षा कर्मियों की निर्धारित संख्या में से 50 कम सुरक्षा कर्मियों का एक वर्ष का 48 लाख रुपये कहाँ गए।
2. ईएसआई के मेडिकल फंड का 12 लाख रुपये कहाँ गए।
3. ईपीएफ का साढ़े 21 लाख रुपये कहाँ गए।
4. सुरक्षा कर्मियों की छुट्टियों का 15 लाख रुपये कहाँ गए।
5. सबसे कम अनुभव,योग्यता व गुणवत्ता के बावजूद रेनबो कम्पनी को ठेका कैसे मिला।
6. इतनी सारी अनियमितताओं के बावजूद रेनबो कम्पनी को एक साल के बाद ठेके के अवधि खत्म होने के बावजूद एक्सटेंशन कैसे और क्यों दी गयी।
7. माननीय उच्च न्यायालय के दिशादनिर्देश पर राज्य के ठेका मजदूरों व विशेष तौर पर आईजीएमसी के कर्मचारियों के मुद्दे पर 5 अगस्त 2019 को हिमाचल प्रदेश के श्रम मंत्री की अध्यक्षता में हुई संविदा श्रम सलाहकार समिति की बैठक व बाद में उसके निर्देश पर श्रमायुक्त हिमाचल प्रदेश के निर्देश पर संयुक्त श्रमायुक्त की अध्यक्षता में हुई 23 अगस्त 2019 की बैठक में हिमाचल ज़ोन के ईएसआई राज्य निदेशक द्वारा रेनबो कम्पनी पर ईएसआई के लाखों रुपये के गबन की रिपोर्ट देने के बावजूद रेनबो कम्पनी आईजीएमसी में कैसे अपना कार्य जारी रखे हुए है। इस पूरे मामले में घोटालों का सरदार कौन है।
8. टेंडर वितरण के समय बिना लाइसेंस के रेनबो कम्पनी को ठेका कैसे व किन नियमों के तहत दिया गया। इस कम्पनी का श्रम विभाग में पंजीकरण व लाइसेंस ठेका मिलने के लगभग एक साल बाद अगस्त 2019 में बना जो नियमों के पूरी तरह विपरीत था।
9. ठेके के आबंटन के समय जमा की जाने वाली 26 लाख रुपये की राशि अथवा मार्जिन मनी जमा न होने के बावजूद भी यह ठेका रेनबो कम्पनी को क्यों दिया गया।
10. रेनबो कम्पनी ने कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों के अनुसार आज तक मजदूरों की हाजिरी के लिए बायोमेट्रिक क्यों नहीं लगाए।
11. ठेके की शर्तों के अनुसार सुपरवाइजर के चार पद सृजित थे व जिनका वेतन 40 हज़ार रुपये तय था। इसी तरह चीफ सिक्योरिटी ऑफिसर के वेतन 50 हज़ार रुपये तय था। उन्हें केवल 18 से 23 हज़ार रुपये वेतन देकर इन पांच लोगों के वेतन से हर वर्ष लगभग 14 लाख रुपये का घोटाला किया जा रहा है,उस पर प्रबंधन क्यों खामोश है।
12. आईजीएमसी की रैड क्रॉस बिल्डिंग जोकि असुरक्षित घोषित की जा चुकी है उसमें रेनबो कम्पनी को कमरे देने की मेहरबानी के पीछे क्या मूल कारण हैं। अगर भविष्य में यह बिल्डिंग अचानक गिर जाए व किसी की मौत हो जाये तो क्या उसकी जिम्मेवारी आईजीएमसी प्रबंधन व रेनबो कम्पनी लेगी। कहीं असुरक्षित घोषित किये गए रैड क्रॉस भवन के इन कमरों को अनैतिकता के कार्यों के लिए तो नहीं इस्तेमाल किया जा रहा है।
13. इन सभी घोटालों व अनियमितताओं के बावजूद भी रेनबो कम्पनी का ठेका क्यों बरकरार है। आखिर प्रबंधन की क्या मजबूरियां हैं। इस सभी पर न्यायिक जांच बेहद आवश्यक है।