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धारा 370 ने देश को जोड़ने का नहीं बल्कि तोड़ने का काम किया : धूमल

नवनीत बत्ता |

पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने हमीरपुर के बिझड़ कस्बे में कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। इस मौके पर धूमल ने कहा कि धार 370 जिसको जम्मू एवं कश्मीर में लागू करते वक्त कहा गया कि यह अस्थाई धारा देश को जोड़ने का काम करेगी, किन्तु धारा 370 ने देश को तोड़ने का काम किया। अस्थाई धारा 70 वर्षों तक खत्म नहीं हुई उल्टा जम्मू कश्मीर राज्य के राजनीतिक दल कश्मीर को आजाद कश्मीर के रूप में सोचने लग पड़े और कश्मीर के लिए और स्वायत्तता की मांग करने लगे। भारत के संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर ने भी इस धारा को ड्राफ्ट करने से इनकार करते हुए आशंका जताई थी कि यह धारा भारत को जोड़ेगी नहीं बल्कि तोड़ेगी और आज कश्मीर इसकी मांग कर रहा है कल को कोई दूसरा राज्य में ऐसी ही मांग करेगा।

35A पर बात करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि 35A कभी भारतीय संविधान का हिस्सा ही नहीं था। कभी पार्लियमेंट में इसे पास नहीं किया  और न ही इसे कभी संविधान सभा में  किया गया था। 1954 में पंडित नेहरू के कहने पर राष्ट्रपति की नोटिफिकेशन से ही इस धारा 35A को जोड़ दिया गया था।  "लम्हों ने ख़ता की थी, सदियों ने सजा पाई" इस उर्दू शेयर को दोहराते हुए प्रोफेसर धूमल ने कहा कि यदि पंडित नेहरू ने अक्टूबर 1947 में सेना को सीजफायर का हुक्म ना देकर सारे कश्मीर पर कब्जा कर लिया होता तो आज सारे का सारा कश्मीर हमारा होता, ना इतनी लड़ाइयां होती और ना ही हमारे इतने ज्यादा लोग शहीद होते। हमारे हजारों सैनिक देश के उस हिस्से को बचाते-बचाते शहीद हो गए जो हमारा ही था। और 1990 के बाद जब से आंतकवाद आया तब से भारत के 41891 लोग जम्मू कश्मीर राज्य में शहीद हुए।

प्रोफेसर धूमल ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने धारा 370 को खत्म करने के लिए एवं कश्मीर को पूरी तरह भारत में मिलाने के लिए पहली कुर्बानी पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की शहादत के रूप में दी थी। जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने वर्षो पहले धारा 370 को हटा कर कश्मीर को पूरी तरह भारत में मिलाने की मांग की थी। उस समय जम्मू कश्मीर राज्य कि सीमा पर प्रवेश करने के लिए पहले परमिट लेना पड़ता था। एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने के लिए यदि परमिट लेना पड़े तो वह एक देश कैसे हो सकता है, ऐसा सोच कर 1953 में डॉक्टर मुखर्जी ने कोलकाता से श्रीनगर तक यात्रा शुरू की और नारा दिया कि भारत में दो प्रधान, दो निशान, दो विधान नहीं चलेंगे। माधवपुर में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी को गिरफ्तार कर लिया गया और उस वक्त श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेई भी उनके साथ थे। जहां कुछ दिनों बाद बड़ी ही रहस्यमयी परिस्थितियों में डॉक्टर मुखर्जी का देहांत हो गया।

धारा 370 के कारण जम्मू कश्मीर में बहुत सारी विसंगतियां थी वहां के नागरिकों के साथ गरीबों के साथ किसानों के साथ महिलाओं के साथ एवं कर्मचारियों के साथ अन्याय हो रहा था, अनगिनत वीर सैनिकों को  अपने प्राणों की आहुति  कश्मीर एवं कश्मीर के लोगों को बचाने  के लिए देनी पड़ी थी , जो सब अब जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने के साथ ही खत्म हो चुका है। लंबे समय से धारा 370 एवं 35a को खत्म करने की मांग हो रही थी जिसको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खत्म किया है जिसके लिए पूरा देश उनका धन्यवाद करता है।