सरकार द्वारा राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्य चुने गए केएस तोमर की नियुक्ति सवालों के घेरे में आ गई है। तोमर की नियुक्ति को लेकर एक याचिकाकर्ता द्वारा हाइकोर्ट में चुनाैती दी गई है। याचिकाकर्ता ने सरकार से पूछा है कि आखिरकार तोमर को राज्य मानवाधिकार आयोग का सदस्य नियुक्त करने की क्या मजबूरी रही है। जिसके लिए मुख्यमंत्री को अचानक चार मंत्रियों की कैबिनेट मीटिंग बुलाकर केएस तोमर को सदस्य बनाना पड़ा।
गौरतलब है कि केएस तोमर के नाम पर नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल उस समय भी सहमत नहीं थे, जब उन्हें मुख्य सूचना आयुक्त बनाने की तैयारी थी। क्योंकि विपक्ष के नेता नहीं चाहते थे कि तोमर को हिमाचल लोक सेवा अध्यक्ष के बाद सूचना आयुक्त का पद दिया जाए। अब जब सरकार ने तोमर को राज्य मानवाधिकार का सदस्य बनाया है मामला हिमाचल उच्च न्यायालय में पहुंच गया है।
यह भी बता दें कि बीजेपी ने कांग्रेस सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर जो चार्जशीट दाखिल की थी, उसमें लोकसेवा आयोग की भूमिका पर भी सवाल खड़े हुए थे। उस समय लोक सेवा आयोग के चेयरमैन केएस तोमर ही थे।