सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को जम्मू-कश्मीर को लेकर विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई हुई। पहली याचिका में अदालत ने सरकार को घाटी में इंटरनेट सेवा बहाल करने के लिए नोटिस जारी किया। दूसरी याचिका में बच्चों को अवैध तरीके से नजरबंद पर सुनवाई करते हुए मामले को संवैधानिक पीठ के पास भेज दिया। वहीं तीसरी सुनवाई कश्मीर टाइम्स के संपादक की याचिका पर की।
घाटी में तुरंत शुरू की जाए इंटरनेट सेवा
शीर्ष अदालत ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिका में अदालत से कहा गया था कि वह केंद्र को निर्देश जारी करे ताकि घाटी में हाई स्पीड इंटरनेट सेवा और अस्पतालों और चिकित्सा प्रतिष्ठान में लैंडलाइन सेवा तुरंत प्रभाव से शुरू की जाए।
बच्चों को अवैध तरीके से रखा गया नजरबंद
उच्चतम न्यायालय ने बाल अधिकार विशेषज्ञ एनाक्शी गांगुली और प्रोफेसर शांता सिन्हा की याचिका को संवैधानिक पीठ के पास भेज दिया है। इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को निष्प्रभावी करने के मद्देनजर जम्मू-कश्मीर के बच्चों को अवैध तरीके से नजरबंद रखा गया है। अदालत कल से अनुच्छेद 370 से संबंधित दलीलों पर सुनवाई शुरू करेगा।
वाइको दायर कर सकते हैं नई याचिका
उच्चतम न्यायालय ने राज्यसभा सदस्य वाइको की उस याचिका पर सुनवाई करने से सोमवार को इनकार कर दिया जिसमें जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को उसके समक्ष पेश करने की मांग की गई और न्यायालय ने कहा कि एमडीएमके नेता जन सुरक्षा कानून के तहत हिरासत के आदेश को चुनौती दे सकते हैं। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने वाइको के वकील से कहा, ‘वह (अब्दुल्ला) जन सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में हैं।’
वाइको के वकील ने जम्मू कश्मीर प्रशासन के आचरण पर सवाल उठाया और दावा किया कि 16 सितंबर को उच्चतम न्यायालय में होने वाली सुनवाई से कुछ मिनटों पहले ही अब्दुल्ला को जम्मू कश्मीर जन सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में ले लिया गया। पीठ में न्यायमूर्ति एस ए बोबड़े और न्यायमूर्ति एस ए नजीर भी शामिल हैं। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता जम्मू कश्मीर जन सुरक्षा कानून के तहत अब्दुल्ला के खिलाफ हिरासत के आदेश को सक्षम प्राधिकरण के समक्ष चुनौती दे सकता है।