शिव को सति के वियोग से निकालने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सति माता के देह को कई हिस्सों में विभाजित कर दिया। कहा जाता है कि जहां-जहां सती के अंग गिरे वहां-वहां शक्तिपीठों का निर्माण किया गया। देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन मिलता है। देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन मिलता है। वहीं देवी भागवत में 108, देवी गीता में 72 और तंत्रचूड़ामणि में 52 शक्ति पीठ बताए गए हैं। विभाजन के बाद भारत में कुल 42 शक्ति पीठ रह गए हैं बाकि विदेश में हैं।
कालिका शक्तिपीठ- कोलकाता के कालीघाट स्थित कालिका देवी मंदिर 51 शक्तिपीठों में सर्वप्रसिद्ध शक्तिपीठ होने के साथ-साथ हिन्दुओं का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। कोलकाता में इस मंदिर की वही मान्यताएं हैं जो कि काशी में श्रीविश्वनाथ मंदिर की है। यहां माता के दाहिने पैर का अंगूठा गिरा था और माता यहां शक्ति रूप में स्थापित हो गई। माता सती यहां कालिका रूप में हैं, जबकि स्वयंभू नकुलेश्वर भैरव रूप में प्रतिष्ठित हैं। चार महाशक्तिपीठों में एक कालिका देवी मंदिर में माता अपने उस प्रचंड रूप में हैं, जिसमें उन्होंने भगवान शिव के सीने पर पैर रखकर नरमुंडों की माला पहनी हुई है।
कालिका देवी का मंदिर पश्चिम बंगाल के प्रसिद्ध शहर कोलकता में हुगली नदी के तट पर स्थित है। कोलकाता में इसके अलावा भी कई प्रसिद्ध देवी मंदिर है। कोलकता भारत का प्रसिद्ध औद्योगिक शहर है, जो देश के सभी हिस्सों से रेल और हवाई मार्ग से जुड़ा हुआ है। भक्तगण इस मंदिर में सभी तरह के साधनों से पहुंच सकते है।