जंजैहली खंड की धार जरोल पंचायत की चर्चा आजकल अमेरिका में भी हो रही है । इस पंचायत की महिला प्रधान कला देवी ने यूएनओ की आम सभा को हिंदी में संबोधित किया तो चारों तरफ से तालियों की गडग़ड़ाहट ने इसी दूराज इलाके की पंचायत प्रधान में इतना जोश भर दिया कि वह अपने बीस मिनट के भाषण के अलावा बीस मिनट और बोली ।
कला देवी के साथ भोपाल की एक और महिला सरपंच थी । ये दोनो पूरे भारत का प्रतिनिधित्व कर रही थी । कला देवी ने हिमाचल विशेषकर सराज इलाके में महिलाओं की स्थिति और उनको आगे बढऩे की पूरी कहानी यूएनओ को सुनाई । कला देवी ने बताया कि वह अपने गांव की पहली लड़की थी जिसने पहली बार बारवहीं पास की थी । हांलाकि कला देवी ने नौ साल तक प्राथमिक स्तर पर बच्चों को भी पढ़ाया ।
मगर उन्होंने देखा कि महिलाओं का सशक्तिकरण तभी हो पाएगा जब वह जन प्रतिनिधि बने । वर्ष- 2016 में उन्होंनें धार जरोल पंचायत में महिला प्रधान की सीट जीती । उसके बाद महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए सेल्फ हैल्प ग्रुप, महिला भवन और बेटियों आगे पढऩे के लिए सरकारी योजनाएं लागू करवाई । सराज इलाके में इस महिला प्रधान ने अपनी पंचायत में मनरेगा के तहत चार करोड़ रूपए खर्च करके आज अपनी पंचायत की महिला ही नहीं बल्कि पुरूषों को भी आर्थिक स्वालंबी बनाया ।
अमेरिका के न्युयार्क में इस महिला की गूंज से यह सुषमा स्वराज के बाद भारत की दूसरी और हिमाचल की पहली महिला जिन्होंने हिंदी में भाषण दिया । इस महिला की गूंज 30 सितंबर को यूएनओ के हैडक्वाटर में गूंजी । उसके बाद पूरे दुनियां से इसे जो सम्मान मिला उससे हिमाचल के सराज का मान बढ़ा ।
मुख्यमंत्री के विधान सभा क्षेत्र का बढ़ाया मान
धार जरोल पंचायत की प्रधान कला देवी ने मुख्यमंत्री के विधान सभा क्षेत्र सराज का दुनियां में मान बढ़ाया । कला देवी ने बताया कि घर में इतनी गरीबी थी कि उसे उसकें माता पिता ने नहीं बल्कि नाना नानी ने पढ़ाया । कला देवी ने उसी दिन से ठान लिया कि वह महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए काम करेगी । 40 साल की उमर में उसने यह सब करके दिखा दिया ।