प्रदेश सरकार कानूनी दायरे में भांग की खेती को मंजूरी देने की तैयारी में है। राज्य कर एवं आबकारी विभाग इस पर नीति तैयार कर रहा है, जिसके तहत जीवन रक्षक दवाओं और कुछ अन्य उपचारों के लिए भांग की खेती को कानूनी रूप दिया जाएगा।
भांग का इस्तेमाल हर हाल में सिर्फ निर्धारित उत्पादों के लिए किया जाए। इसके लिए सख्त प्रावधान किए जाएंगे। फिलहाल यह नीति विधि विभाग के विचाराधीन है। माना जा रहा है कि वहां से मंजूरी मिलने के बाद विधानसभा चुनाव खत्म होते ही इसे मंत्रिमंडल के सामने पेश किया जाएगा। प्रमुख सचिव आबकारी संजय कुंडू ने इसकी पुष्टि की है।
ग्लोबल इनवेस्टर मीट के लिए निमंत्रण बांटने के दौरान कई देशों के राजदूतों व विदेशी निवेशकों ने हिमाचल में पैदा होने वाली भांग की गुणवत्ता पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से चर्चा की थी। इस दौरान उन्होंने भांग के हिस्सों से कैंसर जैसी बीमारी के लिए बनने वाली दवाओं की बात कही। राजदूतों और निवेशकों की इन्हीं दलीलों के बीच सरकार ने भांग की खेती को कानूनी रूप देने पर मंथन शुरू किया।
चूंकि हाल ही में उत्तराखंड सरकार ने भांग की खेती को कुछ खास उत्पादों के निर्माण के लिए कानूनी मंजूरी दी है, ऐसे में प्रदेश सरकार भी उसी तर्ज पर दवाओं के अलावा करीब 70 तरह के उत्पादों के निर्माण के लिए इस खेती को सरकारी नियंत्रण में कराना चाह रही है। माना जा रहा है कि नवंबर में होने वाली ग्लोबल इनवेस्टर मीट से पहले होने वाली मंत्रिमंडल की बैठक में इसे पेश किया जाएगा जहां मंत्रिमंडल चर्चा के बाद इस पर अंतिम फैसला लेगा।
यदि प्रदेश सरकार ऐसा करती है तो इससे अनेकों फायदे होने का अनुमान है । भांग एक विशेष प्रकार की औशधि है जिससे अनेकों बिमारियों को खत्म करा जा सकता है ।प्राचीन काल में भी भांग का उपयोग अनेकों जगह किया जाता था । इतना ही नहीं वैज्ञानिक इस पर कई बार शोध भी कर चुके हैं ।जिसमें साफ पाया गया है कि भांग कैसर जैसी घातक बिमारी को खत्म करता है.। हालांकि इस पर अभी फैसला कैबिनेट के फैसले में विचारविमर्श करने के बाद ही आऐगा ।