1895 और 2019 का कैलेंडर बिल्कुल एक समान है। दोनों कैलेंडर बिल्कुल एक जैसे हैं हर दिन हर छुट्टी और हर बार बिल्कुल एक जैसा है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि कैलेंडर ईयर एक जैसा रहा हो। बीते 123 साल में 13 बार इस कैलेंडर की पुनरावृत्ति हो चुकी है। 2019 में 14वीं बार इसकी पुनरावृत्ति हुई है।
1895 के बाद अब तक एक समान कैलेंडर 1901, 1907, 1918, 1929, 1935, 1946, 1957, 1963, 1974, 1985, 1991, 2002, 2013 और 2019 में नजर आए। दिनों को नक्षत्रों से व्यक्त किया जाता था, यानी रात्रि को चंद्र जिस नक्षत्र में दिखाई देता था उसी के नाम से वह दिन जाना जाता था। बाद में तिथियां भारतीय पंचांग की मूलाधार बन गई। वैदिक काल में वर्ष संभवतः 366 दिनों का माना गया था। चंद्र वर्ष 354 दिन, इसमें 12 दिन जोड़ कर 366 दिनों का सौर वर्ष बनाया गया होगा।
बीते वर्षों के कैलेंडर और वर्तमान के कैलेंडर को जानने के लिए जो भी साल दिया गया हो, उसे चार से भाग देते हैं। यदि शेषफल में जीरो और एक प्राप्त होगा तो उस वर्ष में छह जोड़ देते हैं। इससे यह पता चल जाता है कि उस वर्ष के कैलेंडर की पुनरावृत्ति कब होगी। शेष में जोड़ते हैं 11 दो और तीन शेष बचने पर 11 जोड़ते हैं। यदि दिया गया वर्ष लीप वर्ष है तो उस वर्ष में 28 जोड़ देते हैं। लीप वर्ष की पुनरावृत्ति 28 साल बाद हो जाती है।