हिमाचल प्रदेश सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (स्थापना और संचालन की सुविधा) अध्यादेश 2019, 6 नवम्बर से लागू कर दिया गया है, जिससे हजारों लघु उद्यमियों को राहत मिलेगी और यह प्रदेश एक आकर्षक निवेश गंतव्य बनेगा। इस अध्यदेश में आठ विभिन्न अधिनियमों को कवर किया गया है, जिसमें हिमाचल प्रदेश पंचायती राज एक्ट, 1994, हिमाचल प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1994, हिमाचल प्रदेश म्यूनिसिपल एक्ट, 1994, हिमाचल प्रदेश फायर फाईटिंग सर्विसेज एक्ट 1984, हिमाचल प्रदेश रोड साईड लैंड कंट्रोल एक्ट 1968, हिमाचल प्रदेश शॉप्स एंड कॉमर्शियल एस्टेबलिशमेंट एक्ट 1969, हिमाचल प्रदेश सोसाईटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 2006 और हिमाचल प्रदेश टाउन एंड कंट्री प्लानिंग एक्ट, 1977 शामिल हैं।
इस अध्यादेश की यह विशेषता है कि जो उद्योगपति जो प्रदेश में अपना उद्योग आरम्भ करना चाहते हैं, को केवल घोषणा-पत्र देकर ही अपना उद्योग स्थापित कर सकेंगे। घोषणा-पत्र प्राप्त होते ही संबंधित नोडल अधिकारी जैसे महाप्रबंधक, जिला उद्योग केन्द्र/उप निदेशक उद्योग, एकल खिड़की निकासी संस्था, बद्दी/सदस्य सचिव, क्षेत्र के एकल खिड़की निकासी संस्था द्वारा पावती प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा। प्रमाणपत्र प्राप्त होने के पश्चात उद्योगपति अगले तीन वर्ष के लिए बिना किसी स्वीकृति के अपना उद्योग शुरू कर सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 99 प्रतिशत उद्योग, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम दर्जे के हैं। यह प्रदेश की अर्थव्यवस्था का स्तंभ है और इनमें लगभग 3.50 लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध है। सरकार ने यह महसूस किया है कि प्रदेश में आय एवं रोजगार का स्तर बढ़ाने के लिए इन क्षेत्रों में अधिक से अधिक निवेश को आकर्षित करने की आवश्यकता है। प्रक्रियाओं को सरल बनाया जाना आवश्यक है, ताकि इच्छुक उद्यमियों को अनावश्यक परेशानियों से बचाया जा सके। सरकार द्वारा उठाए गए ये कदम प्रदेश में ‘ईज़ ऑफ डुइंग बिजनैस’ की दिशा में मील-पथर साबित होंगे।