बेशक कहने को हमीरपुर जिला में सरकार की तरफ से खेलों के लिए पूरी व्यवस्था की गई है और पांच अलग-अलग खेलों के कोच हमीरपुर में इस समय सरकार द्वारा भेजे गए हैं। लेकिन इन पांच में से दो कोच को हमीरपुर से दूसरी जगह पर खेलों को सिखाने के लिए भेज दिया गया है जिसमें हॉकी के कोच आजकल सुजानपुर में और हैंड वालों के कोच लदरौर में जाकर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। हैरानी इस बात की है कि जिला खेल विभाग के पास हमीरपुर का जो मुख्य मैदान है जहां पर स्थानीय बच्चों के साथ-साथ बड़े और बुजुर्ग लोग भी ना सिर्फ खेलने बल्कि सुबह और शाम को वॉक करने भी आते हैं। लेकिन ग्राउंड की मेंटेनेंस के लिए एक भी रुपया विभाग को सरकार की तरफ से नहीं दिया जाता है।विभाग से मिली जानकारी के अनुसार उनके पास इस काम के लिए कोई भी बजट नहीं है।
वहीं, जिला खेल विभाग का अपना दफ्तर हालांकि अणू डिग्री कॉलेज के पास बना दिया गया। लेकिन वह दफ्तर अभी भी लंबे समय से स्थानीय खेल मैदान के नीचे ही चल रहा है। वहीं अगर हम स्थानीय मैदान की बात करें तो हालात इस मैदान के इतने बदतर हो चुके हैं कि यहां पर कोई भी खेल खेलना आसान नहीं रहा है। क्योंकि पूरे ही मैदान में अब रेत के साथ पत्थर भर चुके हैं। जिसके कारण अक्सर यहां पर गिरने से खिलाड़ियों को खांसी चोटें लग रही हैं। हाल ही में जिला की सीनियर हॉकी टीम ने इसको लेकर विरोध जताया है और जिलाधीश हमीरपुर से मांग की है कि वह खेल मैदान के रखरखाव के लिए बकायदा एक बजट तय करें। ताकि जो पत्थर और कंकड़ पूरे मैदान में भर चुके हैं उनको यहां से हटाया जा सके और इसके साथ ही खेल मैदान में बढ़ रहे गाड़ियों के जमावड़े को भी पूरी तरह बंद किया जाए।
इसको लेकर अश्विनी कुमार नीरज शर्मा सुशील शर्मा आदि खिलाड़ियों ने मांग की है कि जिला प्रशासन को इस बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए क्योंकि हमीरपुर शहर के बीचों बीच एक ही खेल मैदान है जहां पर खेलने के साथ साथ मॉर्निंग वॉक के लिए भी काफी संख्या में लोग आते हैं लेकिन मैदान में पत्थर भर जाने के कारण अब यहां पर खेलना मुश्किल हो गया है और अक्सर गंभीर चोटों का सामना करना पड़ रहा है वहीं गाड़ियों की पार्किंग भी मैदान को लगातार खराब कर रही है।