Follow Us:

ट्राउट उत्पादन में नया कीर्तिमान स्थापित करने की ओर बढ़ रहा है हिमाचल

समाचार फर्स्ट डेस्क |

हिमाचल प्रदेश की बारह महीने बहने वाली नदियां, ट्राउट मछली उत्पादन और मछुआरों को अपनी आमदनी में वृद्धि के लिए अपार अवसर प्रदान करती हैं। राज्य सरकार मत्स्य क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, जिसके लिए विभिन्न योजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं। पिछले कुछ सालों में हिमाचल प्रदेश देश में प्रमुख ट्राउट मछली उत्पादक राज्य के रूप में उभरा है। इस वित्त वर्ष दौरान ट्राउट मछली उत्पादन रिकार्ड 685 मीट्रिक टन होने की संभावना है। राज्य सरकार ने सीएसएस-नीति क्रांति के अंतर्गत शिमला, चंबा और कांगड़ा में ट्राउट मछली के आउटलेट खोलने का फैसला किया है जिन्हें शीघ्र कार्यशील बनाया जाएगा।

हिमाचल प्रदेश में ब्यास, सतलुज और रावी नदियों की बर्फीली नदियों में मत्स्य पालन शुरु हो गया है, जो पहाड़ी राज्यों में ट्राउट के लिए सबसे अनुकूल है। प्रदेश के सात ट्राउट मछली उत्पादन जिलों कुल्लू, मंडी, शिमला, किन्नौर, चंबा, कांगड़ा और सिरमौर में साल 2018-19 के दौरान 2558 लाख रुपये का कुल 568.443 मीट्रिक टन ट्राउट मछली उत्पादन दर्ज किया गया। मत्स्य पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर के अनुसार, राज्य ने साल 2020-21 के दौरान ठंडे पानी में 800 मीट्रिक टन ट्राउट मछली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है, जबकि साल 2021-22 के लिए 950 मीट्रिक टन ट्राउट मछली उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। मत्स्य पालन विभाग ने ट्राउट मछली की बिक्री के लिए 940 ट्राउट इकाइयां विकसित करने के लिए महत्वाकांक्षी विपणन नीति भी तैयार की है। विभाग फिश वैन के माध्यम से ट्राउट मछली के विपणन के लिए इस वित्त वर्ष के दौरान ट्राउट क्लस्टर स्थापित करेगा। वर्तमान में राज्य में होने वाले ट्राउट मछलियों के उत्पादन में से लगभग 50 प्रतिशत की बिक्री मुख्य रूप से दिल्ली, मुंबई और चेन्नई आदि जैसे महानगरों के पाँच सितारा होटलों में की जा रही है।

राज्य सरकार ने प्रदेश में ट्राउट मछली उत्पादन के कार्य से जुड़े लगभग 500 परिवारों को पारिश्रमिक मूल्य सुनिश्चित करने के लिए गुणवत्ता और मात्रा दोनों को बढ़ाकर महानगरीय शहरों में विपणन पर ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया है। मत्स्य विभाग आईसीएआर-सेंट्रल मेराइन फिशरीज़ रिसर्च इंस्टीच्यूट, कोच्चि के सहयोग से मछली बिक्री के लिए ऑनलाइन पोर्टल भी विकसित कर रहा है। मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कुल्लू ज़िले के पतीकूहल, हामनी, चम्बा ज़िले के होली ठैला और भांदल, जिला मंडी के बड़ोट, किन्नौर जिला के सांगला और जिला शिमला के धमवाड़ी में ट्राउट फार्म स्थापित किए गए हैं। सरकार ने ट्राउट फार्मिंग सात जिलों में निजी क्षेत्र में 29 ट्राउट हैचरी स्थापित करने का भी निर्णय लिया है। आने वाले सालों में सीएसएस-बीआर और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत ये हैचरी कुल्लू, मंडी, शिमला, किन्नौर, चंबा, कांगड़ा और सिरमौर जिलों स्थापित होंगी और प्रत्येक हैचरी में प्रति वर्ष 2.00 लाख की ट्राउट ओवा उत्पादन क्षमता होगी।

राज्य सरकार ट्राउट मछली उत्पादन से जुड़े किसानों को गुणवत्ता वाले बीज और फीड प्रदान करने के लिए मछली बीज प्रमाणीकरण और मान्यता एजेंसी स्थापित करने की भी योजना बना रही है। ट्राउट मूल्य श्रृंखला में प्रौद्योगिकी और उत्पादन प्रक्रियाओं को आधुनिक बनाने के लिए, कुल्लू जिले के ट्राउट फार्म पतलीकुहल में स्मोक्ड ट्राउट कैनिंग सेंटर भी तैयार किया जा रहा है। निजी क्षेत्र में ट्राउट मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न केंद्र प्रायोजित और राज्य योजनाओं के अंतर्गत ट्राउट इकाइयों, हैचरी, फीड मिलों, खुदरा दुकानों आदि के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता दी जा रही है। विभाग राज्य योजना के तहत ट्राउट उत्पादकों को ट्राउट बीमा भी प्रदान कर रहा है। मछली उत्पादन संगठनों (एफपीओ) को प्रोत्साहित करना सरकार की प्राथमिकताओं में एक है, जो मछली उत्पादों के लिए फसल के बाद के बुनियादी ढांचे के विकास की परिकल्पना करता है और उन्हें लाभकारी बाजार उपलब्ध कराता है।