वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने निवेशकों में आर्थिक सुरक्षा की भावना को बढ़ाने और चिटफंड योजनाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आज लोकसभा में चिटफंड (संशोधन) विधेयक, 2019 पेश किया। सदन में बिल पेश करते हुए अनुराग ठाकुर ने कहा कि चिटफंड (संशोधन) विधेयक, 2019 का मकसद चिटफंड सेक्टर के सुचारु विकास को सुगम बनाते हुए उद्योग जिन बाधाओं से जूझ रहा है उसे दूर करना है।
चिट फंड्स (संशोधन) विधेयक, 2019 चिट फंड अधिनियम, 1982 का संशोधित रूप है जो चिटफंड को नियंत्रित करता है, और संबंधित राज्य सरकार की अनुमति के बिना एक फंड बनाने की अनुमति नहीं देता है। यह विधेयक छोटे निवेशकों की आर्थिक सुरक्षा के लिए हमारी सरकार द्वारा एक और कदम है। यह हमारी सरकार का उद्देश्य है कि हम पूरी सक्रियता,सतर्कता और कानून में आवश्यक बदलाव के साथ छोटे जमाकर्ताओं के मेहनत की गाढ़ी कमाई की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए इस पर नज़र जमाए बैठे आर्थिक अपराधियों पर शिकंजा कसा जाए।
हमारा मकसद चिट फंड क्षेत्र का सुव्यवस्थित विकास करने के लिये चिट फंड उद्योग के समक्ष आ रही अड़चनों को दूर करना और बेहतर वित्तीय पहुंच सुगम बनाना है जिस से इसमें निवेश करने वाले सभी निवेशक एक आर्थिक सुरक्षा का घेरा महसूस कर सकें। इसके मूल अधिनियम में कई महत्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं जिनमें से कई चिट फंड उद्योग के क्रियान्वयन को आसान करेंगे और चिट ग्राहकों के हितों की रक्षा करेंगे।
विधेयक में अधिनियम की धारा-2 के अनुबंध (बी) में 'बंधुत्व फंड' और 'आवर्ती बचत व क्रेडिट संस्थान' जोड़ा गया है जो चिट को परिभाषित करता है। विधेयक में व्यक्ति के लिए निर्धारित कुल चिट राशि की सीमा एक लाख रुपये से बढ़ाकर तीन लाख रुपये और फ़र्म के लिए छह लाख रुपये से बढ़ाकर 18 लाख रुपये किया गया है। इसमें दो ग्राहकों की उपस्थिति या तो व्यक्तिगत रूप से या फोरमैन द्वारा विधिवत रिकॉर्डेड वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अनिवार्य किया गया है जैसा कि अधिनियम की धारा 16 की उपधारा (2) के तहत आवश्यक है। अवैध इनामी चिटों के संबंध में भ्रम को दूर करने के लिए 'प्राइज राशि' शब्द को 'नेट चिट राशि' से बदल दिया गया”
यह विधेयक अनियमित जमा योजना योजना, 2019 को प्रतिबंधित करता है, जिसे माननीय वित्त राज्य मंत्री ने पिछले सत्र में पेश किया था और इसे बिना किसी बदलाव के पारित कर दिया गया था। इस विधेयक में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि एक चिट फंड कानूनी है और पोंजी स्कीम इससे अलग है।