रविंदर रवि की जांच के मामले को लेकर ऐसी क्या मजबूरी सरकार की है कि मामले की जांच को करने के बजाय उन्होंने उस पत्र बम को लिखने वाले आदमी को ढूंढना शुरू कर दिया। कहीं न कहीं यह कहा जा सकता है कि पर्दे के पीछे की राजनीति यहां पर बड़े स्तर पर हो रही है। अभी तक बेशक इस सारे मामले की सुई पूर्व विधायक रविंदर रवि के ऊपर ही टिकी हुई है लेकिन देहरा के बड़े नेता की मुख्यमंत्री कार्यालय के साथ नजदीकियं भी इस सारी जांच का कारण हो सकती हैं।
राजनीतिक सूत्रों की माने तो देहरा के ये बडे नेता बीजेपी में आने के लिए पूरी तरह तैयार बताए जाते हैं। लेकिन मामला सिर्फ रविंद्र रवि को लेकर अटका हुआ है क्योंकि जब अगले विधानसभा के चुनाव आएंगे तो रविंद्र रवि कहीं न कहीं बीजेपी में टिकट को लेकर फिर जोर देते नजर आएंगे। यही कारण है कि यह कहा जा सकता है कि एक राजनीतिक गेम के तहत यह सारी कार्यवाही हो रही है। वहीं, लगातार हिमाचल प्रदेश में बीजेपी के बीच में बढ़ रही गुटबाजी भी इस सारे मामले को लेकर अपना असर दिखाती नजर आ रही है।
हालांकि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पूरी तरह इस गुटबाजी के विषय को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं। लेकिन जब भी केंद्रीय राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर हिमाचल के दौरे पर आ रहे हैं तो कहीं न कहीं वह कुछ ऐसा बयान जरूर दे रहे हैं जो कि प्रदेश सरकार को कटघरे में विकास के नाम पर खड़ा करता नजर आ रहा है। ऐसे में रविंदर रवि पर यह कार्रवाई पार्टी के भीतर चल रही है आपसी गुटबाजी को हवा देने या विराम देने के काम आएगी यह तो समय पर ही पता चलेगा। लेकिन फिलहाल दोनों ही गुट बीजेपी के आमने सामने खड़े नजर आ रहे हैं और अब तो अनुराग ठाकुर के समर्थन में सीधे-सीधे ही पार्टी के कई नेता नजर आने लगे हैं। वह हमीरपुर तक सीमित न रहकर पूरे प्रदेश में घूम कर अपने कार्यक्रम भी कर रहे हैं।