हिमाचल प्रदेश में जैसे-जैसे शीत लहर बढ़ रही है वैसे-वैसे सियासी गलियारों में पारा चढ़ा हुआ है। प्रदेश के दोनों मुख्य दलों कांग्रेस एवम भाजपा के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। दोनों दलों की आपसी लड़ाई खुलकर सामने आ गई है। चलिए पहले बात कर लेते हैं सत्ताधारी भाजपा की, भाजपा वैसे तो सरकार चला रही है लेकिन भाजपा में सबकुछ ठीक चल रहा ये कहना सही नहीं होगा। क्योंकि प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा में पत्र बम आजकल भूचाल खड़ा किए हुए है।
मंत्रिमंडल विस्तार के साथ फ़ेरबदल की संभावनाओं के बीच कई तरह की राजनीतिक चर्चाओं का बाज़ार गर्म है। बात तो मंत्रियों को हटाने की भी सामने आई थी लेकिन यदि ऐसा होता है तो क्या भाजपा में अंदरखाते बगावत की चिंगारी नहीं सुलगेगी। वहीं, भाजपा के नए प्रदेशाध्यक्ष को लेकर भी अभी तस्वीर साफ़ नहीं हो पाई है। भाजपा को 15 दिसंबर तक नया अध्यक्ष मिल जाएगा। ये अध्यक्ष मुख्यमंत्री का करीबी होगा या फ़िर अन्य धड़े का इसपर भी सबकी निगाहें टिकी हुई हैं।
उधर कांग्रेस पार्टी की लड़ाई तो जगज़ाहिर है। कांग्रेस पार्टी की आपसी खींचतान के बीच आलाकमान ने प्रदेश की पीसीसी, डीसीसी और बीसीसी को भंग कर दिया है। अभी तक ये साफ नहीं हो पाया है कि असल में ऐसा क्यों किया गया। कुलदीप राठौर के समर्थक कहते हैं कि ये सब कुलदीप राठौर के कहने पर किया गया क्योंकि पुरानी कार्यकारिणी को चला पाना उन्हें मुश्किल हो रहा था। दूसरी ओर विरोधी धड़ा कह रहा है कि अधिकतर कार्यकारिणी को कुलदीप राठौर ने बदल डाला था। बाबजूद इसके चुनावों में कांग्रेस को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा। आलाकमान प्रदेश में अध्यक्ष को भी बदल सकती है और किसी अनुभवी व्यक्ति को प्रदेशाध्यक्ष बनाना चाहती है। अब दोनों ही दलों में मचे घमासान का क्या नतीजा निकलता है इसके लिए इंतजार करना पड़ेगा।