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गुड़िया मामले में फोरेंसिक रिपोर्ट के बाद सीबीआई की जांच पर सवाल

पी. चंद, शिमला |

राजधानी शिमला में जुलाई 2017 में हुए गुडिया रेप मामले की जांच को लेकर अब सीबीआई पर सवाल उठ रहे हैं। समाजिक एवं आरटीआई कार्यकर्ता रवि कुमार दलित ने कहा कि सीबीआई की जांच में पहले की आई रिपोर्ट में इस मामले में एक चिरनी उर्फ नीलू को गिरफ्तार किया गया और पूरे मामले में अकेले व्यक्ति को ही दोषी पाया गया। इस मामले एक अकेला व्यक्ति ही नहीं बल्कि एक से ज्यादा आरोपी होने की आशंका है। इस मामले में नया मोड़ आने के बाद आरटीआई कार्यकर्ता ने मदद सेवा ट्रस्ट की अध्यक्ष तनुजा थापटा से आग्रह किया है कि जिस प्रकार 8 जुलाई को गुड़िया को न्याय दिलवाने के लिए मशाल उठाई थी।

राज्यपाल आचार्य देवव्रत से मिलकर सीबीआई जांच के लिए हामी भरवाई थी और उसके आगे सरकारों को झुकना पड़ा था ठीक उसी प्रकार अब समय आ गया है कि गुड़िया न्याय मिले। क्योंकि गुडिया को न्याय नहीं मिला है और इसके लिए तीखी लड़ाई लड़नी होगी। फिर चाहे सड़कों पर लड़ी जाए या फिर संसद में। गुड़िया को न्याय दिलवाने के लिए जिस मंच का गठन हुआ था जिसे गुड़िया न्याय मंच का नाम दिया गया था उन्हें भी अब जाग जाना चाहिए बिना देरी किए प्रधानमंत्री कार्यालय को पहले भी कई पत्र भेजे जा चुके हैं और नतीजा आपके सामने है इसके लिए एक बार फिर जोरदार ढंग से न्याय के लिए हुंकार भरनी होगी।

उन्होंने कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं से भी अपील है कि अब उन्हें ठीक उसी प्रकार न्याय के लिए आगे आना होगा जिस प्रकार जब कांग्रेस सत्ता में थी और आप सड़कों में थे। आज गुड़िया को न्याय की दरकार है इसलिए राजनीति से ऊपर उठकर गुड़िया के लिए न्याय की लड़ाई लड़ने के लिए आगे आइए। फिर चाहे सचिवालय का घेराव एक बार दोबारा करना पड़े। मदद सेवा ट्रस्ट की अध्यक्ष तनुजा थापटा ने इस मामले में पीएम मोदी को पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि पीएमओ को पहले भी पत्र लिखा जा चुका है कि यह अधूरी जांच है। उन्होंने इस मामले में न्यायिक जांच की मांग की है।

क्या है पूरा मामला

आपको याद होगा मदद सेवा ट्रस्ट गुड़िया न्याय मंच गुड़िया को न्याय दिलवाने के लिए गठित किया गया था। राजधानी से करीब 60 किलोमीटर दूर गांधी जंगल में 4 जुलाई 2017 को हुए बहुचर्चित गुड़िया दुष्कर्म और हत्या मामला को लेकर 8 जुलाई को हम मदद सेवा ट्रस्ट की अध्यक्ष और अन्य महिलाओं को लेकर पूर्व राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी से मिले थे। आचार्य देवव्रत जी ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी और सीबीआई जांच शुरू हुई थी। लेकिन धीरे-धीरे राजनीतिक हस्तक्षेप बढ़ने लगा था। राजनीतिक हस्तक्षेप इतना बढ़ गया कि पूर्व कांग्रेस सरकार को सत्ता से बाहर करने के लिए भाजपा ने गुड़िया प्रकरण को हथियार बना लिया। जोरदार ढंग से सारे कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए और उसका फायदा भाजपा ने उठाया भी।

इसी प्रकरण के बाद भाजपा सत्ता में आई और भरोसा दिलाया गया कि गुड़िया को न्याय मिलेगा। लेकिन धीरे-धीरे न्याय की किरण धूमिल होती चली गई ठियोग के अंदर सीपीआईएम और सहयोगी दलों ने जोरदार प्रदर्शन किया। सरकार बैकफुट पर आ चुकी थी। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह अपना दौरा छोड़कर शिमला पहुंच चुके थे। स्थिति बेकाबू थी, भारी दबाव के बीच आनन-फानन में सीबीआई ने जांच शुरू की। जब सीबीआई की जांच शुरू हुई तो ऐसा लगा कि आरोपी पकड़े जाएंगे। लेकिन सीबीआई मात्र एक चिरानी को पकड़कर दिल्ली वापस लौट गई लेकिन अब चंडीगढ़ की सीबीआई कोर्ट में गुजरात के गांधीनगर के फॉरेंसिक विशेषज्ञों ने रिपोर्ट और बयान दिया कि इस मामले में आरोपी एक से ज्यादा होने की आशंका है।