हमीरपुर जिला के भोटा के पास जून 2016 में हुए एक ब्लाइंड मर्डर केस में अतिरिक्त सेशन जज हमीरपुर की अदालत ने दो दोषियों को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई है। दोषियों को 15-15 हज़ार रुपए जुर्माना भी भरने के आदेश दिए गये हैं।अदालत ने यूपी के दो प्रवासियों करण सिंह पुत्र परमेश्वरी जिला रामपुर यूपी उम्र 32 साल और वीरेंद्र कुमार पुत्र रामप्रकाश उम्र 26 साल जिला बदायूं को धारा 302, 201,34 आईपीसी के तहत जुर्माना के साथ आजीवन कारावास की सज़ा वीरवार को सुनाई है।
ये था मामला
हमीरपुर पुलिस कंट्रोल रूम से 13 जून 2016 को सुबह 8:30 बजे भोटा पुलिस सहायता कक्ष में सूचना आई कि भोटा-घुमारवीं नेशनल हाईवे पर टियाले द घट जगह पर पुली के नीचे एक शव पड़ा हुआ है। एएसआई विनोद कुमार और हेड कांस्टेबल अमरनाथ मौक़े पर पहुंचे। वहां आधी जली हुई डेडबॉडी पड़ी थी। शव की बायीं भुजा और कान किसी जानवर ने खा लिया था जबकि पैरों और माथे पर कीलें ठोकी हुई थीं। मृतक की एक बाज़ू पर प्रेम राज सिंह लिखा हुआ था। पुलिस ने इस अज्ञात शव पोस्ट्मॉर्टम टांडा में करवाया। मौत का कारण गर्दन को मरोड़ना और सांस घुटना बताया गया। पुलिस ने मृतक के तीन दांत डीएनए के लिए सुरक्षित रख लिए। अज्ञात शव मिलने की जानकारी सभी पुलिस स्टेशन को दे दे गयी।
15 जून 2016 को यूपी के दातिया पुलिस स्टेशन में छोटा राम ने फ़ोटो से मृतक के चेहरे की पहचान की। छोटा राम से पुलिस को पता चला कि प्रेमराज सिंह अपने भतीजे करण के साथ हिमाचल के ऊना ज़िले में रहता है। आरोपी कर्ण का मोबाइल नम्बर पुलिस के हाथ लग गया। यहीं से इस ब्लाइंड मर्डर की गुत्थी सुलझना शुरू हो गयी। मोबाइल नम्बर की सीडीआर और घटनास्थल की लोकेशन से यह तय हो गया कि हत्यारा भतीजा करण ही है। पुलिस ने पता लगा लिया कि करण होशियारपुर में है। उसे गिरफ़्तार कर पूछताछ हुई तो उसने गुनाह क़बूल कर लिया।
करण ने बताया कि उसके साथ दूसरा आरोपी वीरेंद्र कुमार भी इस गुनाह में शामिल है। 16 जून को दोनों गिरफ़्तार कर पुलिस रिमांड पर लिया गया और घटना स्थल पर जरूरी प्रमाण एकत्रित कर लिए गये। पुलिस ने कोर्ट में चालान पेश किया और इस पर सुनवाई शुरू हुई। अतिरिक्त सेशन जज हमीरपुर ने केस नम्बर 15/2016 में वीरवार को फ़ैसला सुनाया कि यूपी के दो प्रवासियों कर्ण सिंह पुत्र परमेश्वरी जिला रामपुर यूपी उम्र 32 साल और वीरेंद्र कुमार पुत्र रामप्रकाश उम्र 26 साल जिला बदायूं को धारा 302, 201 और 34 आईपीसी के तहत 15-15 हज़ार रुपए जुर्माना के साथ आजीवन कारावास की सज़ा भुगतनी होगी।