Follow Us:

हमीरपुर: ओटीआर के लिए HPSSC के बाहर धरने पर बैठे पोस्ट कोड 556 के रिजेक्ट अभ्यर्थी

कमल कृष्ण |

वन टाइम रिलेक्सेशन (ओटीआर) के लिए जूनियर ऑफिस असिस्टेंट पोस्ट कोड 556 के रिजेक्ट अभ्यर्थियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शुक्रवार को नौकरी से वंचित किए गए हजारों बेरोजगार अपने हितों की सुरक्षा के हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग के बाहर शांतिपूर्वक धरने पर बैठ गए। वर्तमान में लागू किए गए आरएंडपी रूल्ज ने इन्हे नौकरी से वंचित कर दिया है।  अभ्यर्थियों का कहना है कि सरकार ने उनका भविष्य संकट में डाल दिया है।

गौरतलब है कि आरएंडपी रूल्स में केवल सरकारी संस्थान के कंप्यूटर डिप्लोमा को ही मान्यता दी गई है।  रूल्ज के हिसाब से हायर एजुकेशन और सोसायटी से किए गए डिप्लोमा को रिजेक्ट कर दिया गया है। हालांकि इससे पहले हुई पोस्ट कोड 447 के तहत जेओए की भर्ती में प्रावइेट/ सोसाईटी डिप्लोमा/डिग्री धारकों को मौका दिया गया था। पोस्ट कोड-556 में रिजेक्ट किए गए सभी अयर्थियों ने खाली बचे हुए पदों पर ओटीआर प्रदान करने की मांग की। अभयर्थियों का कहना है कि अगर सरकार ने उनकी जायज मांग को नहीं माना दो अभरथी अनशन पर बैठ जाएंगे।  

उन्होंने बताया कि पोस्ट कोड 556 में वेटिंग लिस्ट भी जारी की जाए और खाली बचे पदों के ऊपर वन टाइम रिलेक्सेशन के तहत रिजेक्ट किए गए अभर्थियों को मेरिट के आधार पर मौका दिया जाए। जूनियर ऑफिस आई टी के पद के लिए वर्तमान में जो आरएंडपी रूल्ज लागू किए जा रहे हैं, उनकी वजह से प्रदेश के 70 से 80 फीसदी युवा इस पोस्ट के टेस्ट को भरने के लिए आपात्र घोषित किए जा चुके हैं। यदि सरकार केवल सरकारी संस्थानों के डिप्लोमा धारकों को ही सरकारी क्षेत्र में नौकरी के अवसर प्रदान करती है तो इस प्रदेश के 80 फीसदी प्राइवेट डिप्लोमा/ डिग्री धारकों के साथ अन्याय की बात होगी।

यह है मामला-

रिजेक्टेड अभ्यर्थियों का कहना है कि 556 का मामला दो वर्षों से न्यायालय के विचाराधीन था। इस पर 29 अगस्त 2019 को अंतिम निर्णय माननीय उच्च न्यायालय द्वारा दिया जा चुका है, परंतु न्यायालय द्वारा केवल सरकारी संस्थानों से कंप्यूटर डिप्लोमा को ही मान्यता दी गई है। हालांकि न्यायालय द्वारा खाली बचे हुए पदों के लिए अंतिम निर्णय सरकार पर छोड़ा गया है। रिजेक्टेड अयिर्थियों का कहना है कि प्राइवेट व सोसायटी संस्थान कंप्यूटर शिक्षा का काम कर रहे हैं, वे भी सरकार की अनुमति से ही संचालित किए जा रहे हैं। यदि वे सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है तो इतने वर्षों से प्रदेश में शिक्षा का प्रसार कैसे कर सकते हैं।

वहीं, इस बारे में हिमाचल प्रदेश कर्मचारी आयोग के चेयरमैन ब्रिगेडियर सतीश कुमार का कहना है कि ओटीआर का निर्णय प्रदेश सरकार लेगी। अभार्थियों द्वारा दिया गया ज्ञापन सरकार को भेज दिया जाएगा।