एक सप्ताह पूर्व नेरवा में हुई मारपीट के बाद वीडियो के आधार पर पुलिस की गलती मानते हुए नेरवा थाने के एसएचओ समेत तीन लोगों को लाइन हाज़िर किया गया था। इसके विरोध में नेरवा की 22 पंचायतों के लोगों ने नेरवा में प्रदर्शन किया और तीनों पुलिस कर्मियों को बहाल करने की मांग उठाई। पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि जिन लोगों को पुलिस द्वारा पीटा गया वह गुंडा तत्व हैं उनको पुलिस ने गुंडागर्दी के आरोप में पीटा है। ऐसे में उनकी शिक़ायत पर पुलिस वालों पर कार्यवाही नहीं होनी चाहिए। एसएचओ समेत तीनों पुलिस कर्मियों को जल्द बहाल किया जाय।
समूचे मामले की जानकारी देते हुए एसपी शिमला ओमपति जम्वाल ने बताया कि अभी पंचायत प्रतिनिधियों की किसी तरह की मांग उनके पास नहीं पहुंची है। लेकिन नेरवा से पता चला है कि पुलिस के समर्थन में स्थानीय पंचायतों के लोग विरोध पर उतर आए है। उन्होंने कहा कि हां एसएचओ समेत तीन पुलिस कर्मियों को लाइन हाज़िर किया गया है। ऐसा कम ही देखने को मिलता है कि पुलिस के समर्थन में लोग सड़कों पर हों अमूमन पुलिस के ख़िलाफ़ की लोग सड़कों पर उतरते हैं।
गौरतलब है कि पिछले दिनों नेरवा में युवकों की पिटाई के मामले का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इसमें तीन पुलिस कर्मचारी युवकों की पिटाई कर रहे थे। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद शिमला पुलिस ने सख्त कार्रवाई करते हुए एसएचओ सहित दो पुलिस कर्मचारियों को लाइन हाजिर कर दिया है। इसमें लाइन हाजिर हुए कर्मचारियों में नरेंद्र और राजेंद्र शामिल हैं। इसमें पंजाब नंबर की गाड़ी में बैठे युवकों ने पहले किसी मामूली बात पर कुछ लोगों की पिटाई कर दी। जो लोग छुडाऩे के लिए जा रहे थे, उनके साथ ही वहीं व्यवहार रखा। पुलिस के मौके पर आने के बाद मोर्चा संभाला तो इसका वीडियो वायरल हो गया।