मार्क्सवादी पार्टी (CPIM) की शिमला जिला कमेटी ने बीजेपी शासित नगर निगम शिमला के ढाई साल के कार्यकाल को निराशाजनक बताया है। मार्क्सवादी जिला कमेटी ने आरोप लगाया है कि इस ढाई साल के कार्यकाल में नगर निगम कोई भी जनहित की योजना नहीं ला पाई है। और जो पूर्व नगर निगम द्वारा परियोजनाएं चलाई गई थी उनके कार्य भी ठप पढ़े हैं। नगर निगम शहरवासियों के हितों और संपत्तियों की रक्षा करने में पूरी तरह से विफल रही है।
सीपीआईएम ने आरोप लगाते हुए कहा कि नगर निगम शिमला सरकार के दबाव में आकर जनविरोधी फैसले को ही लागू करती आ रही। इन ढाई वर्षो में पेयजल, कूड़ा उठाने की फीस, लेबर होस्टल व दुकानों के किराये व अन्य सेवाओ की दरों में भारी वृद्धि की गई। इससे आम जनता पर बोझ डाल कर इन सेवाओं को निजी हाथों में सौंप कर कंपनियों को फायदा पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है। जिस प्रकार से शहर में पेयजल की आपूर्ति के लिए कंपनी (एसजेपीएनएल) का गठन कर पेयजल को निजी हाथों में सौंपने का कार्य किया जा है उससे शहरवासियों पर कंपनी द्वारा मनमर्ज़ी के भारी भरकम पानी के बिल जारी कर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डाला जा रहा है।
पूर्व नगर निगम द्वारा स्वीकृत करवाई गई परियोजनाओं या तो बिलकुल ठप्प हैं या बिल्कुल धीमी गति से चल रही है। नगर निगम सरकार का एक विभाग बनकर कार्य कर रहा है। जिससे नगर निगम जो कि एक स्वयतः वैधानिक संस्था है, का अस्तित्व खतरे में डाल दिया गया है। वर्तमान नगर निगम के ढाई साल के कार्यकाल में नगर निगम में व्यापक भ्र्ष्टाचार फैला है और नगर निगम इस पर रोक लगाने में पूर्णतः विफल रही है। उल्टा सरकार और सत्ता के करीबियों के दबाव में भ्र्ष्टाचार करने वालों को लेकर संरक्षण प्रदान कर रहे हैं। सरकार और सत्ता के करीबियों के द्वारा नगर निगम प्रशासन व कर्मचारियों पर भी बेवजह दबाव बनाकर इनको नगर निगम व शहरवासियों के हित में कार्य करने से रोक रहे हैं।
सीपीआईएम ने आरोप लगाते हुए कहा कि खलीनी पार्किंग पर गैर कानूनी कब्जा और इसमें हुए लाखों रुपए का गबन, जल विभाग में सामान को कबाड़ में कम कीमत पर बेचना और बिना टेंडर के बिना चेहतों को ठेके देने में व्यापक भ्र्ष्टाचार सामने आया है। इस भ्र्ष्टाचार के मुद्दे को सत्ता पक्ष के पार्षद भी कई बार नगर निगम की बैठक में उठा चुके हैं। परन्तु नगर निगम प्रशासन इस पर कोई उचित कार्रवाई नहीं कर रहा है और ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार व सत्ता के करीबियों के दबाव में नगर निगम प्रशासन इन भ्रष्टाचार के मुद्दों को कार्यवाही के बजाए इन पर जांच के नाम पर लीपापोती कर रहा है। क्योंकि खलीनी पार्किंग घोटाले में गैर कानूनी रूप से काटी गई पर्चियां पकड़ने व कब्जाधारी के इस घोटाले को कबूलने के बावजूद भी नगर निगम इस मामले में FIR नहीं कर कानूनी प्रक्रिया से बचने का काम कर रहा है।
बीजेपी ने चुनाव में भ्र्ष्टाचार को मुद्दा बना कर जनता से वोट हासिल कर देश व प्रदेश में सत्ता हासिल की थी। परन्तु सत्तासीन होते ही सरकार इस पर मौन हो गई है और उल्टा खलीनी पार्किंग में हुए घोटाले को जिस तरीके से सरकार में प्रभावशाली लोगों द्वारा दबाने का दबाव डाला जा रहा है उससे प्रतीत होता है कि सरकार ने भी पूर्व सरकार की भांति ही भ्र्ष्टाचार से समझौता कर लिया है। गिरी पेयजल परियोजना में पाइपों में हुई गड़बड़ी को लेकर वर्ष 2016 से विजिलेंस में शिकायत दर्ज है परन्तु लगभग 3 वर्ष बीतने के पश्चात भी वर्तमान बीजेपी सरकार भी पूर्व कांग्रेस सरकार की तरह ही इस भ्र्ष्टाचार के मुद्दे पर कोई कार्यवाही नहीं कर रही है। इससे सरकार की भ्र्ष्टाचार से निपटने की मंशा पर भी शंका पैदा होती है।
सीपीआईएम ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि नगर निगम में चल रहे व्यापक भ्रष्टाचार को रोकने के लिए तुरंत ठोस कदम उठाए। भ्रष्टाचार के लिये दोषियों के विरुद्ध तुरन्त कार्यवाही कर इन पर एफआईआर दर्ज कर कानूनी कार्यवाही अमल में लाई जाए। यदि सरकार इस भ्र्ष्टाचार को रोकने के लिए शीघ्र कार्यवाही नहीं करती तो सीपीआईएम भ्रष्टाचार के विरुद्ध जनता को लामबंद कर आंदोलन चलाएगी।