अतिरिक्त उपायुक्त कांगड़ा राघव शर्मा ने कहा कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों को प्लास्टिक कचरा मुक्त करने में सभी की सहभागिता जरूरी है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने कचरा इक्ट्ठा करने वालों और घरों से निकलने वाले गैर-पुनर्नवीनीकरण और एकल उपयोग वाले प्लास्टिक कचरे को वापस खरीदने को बढ़ावा देने के लिए पॉलिसी लागू की गई है। पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, शहरी विकास, लोक निर्माण, ग्रामीण विकास, राज्य प्रदूषण बोर्ड और सीमेंट कंपनियां इस बाय-बैक पॉलिसी के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए समन्वित प्रयास करेंगी। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक कचरा इक्कठा कर संग्रह केन्द्रों में जमा करवाने पर 75 रुपये किलो प्रति किलोग्राम का न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान किया जाएगा। राघव शर्मा आज डीआरडीए के सभागार में आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे।
एडीसी ने कहा कि प्रदेश को प्लास्टिक कचरे से मुक्ति दिलाने के लिए राज्य सरकार द्वारा गत 01 अक्तूबर से ‘‘बाय बैक पॉलिसी’’ अधिसूचित की गई है और दो अक्तूबर को मुख्यमंत्री द्वारा इस नीति को विधिवत रूप से शुरू किया गया है। उनहोंने बताया कि इस नीति का मुख्य उद्देश्य प्लास्टिक कचरे से मुक्ति दिलाने के साथ-साथ कूड़ा उठाने वालों को अच्छा पारिश्रमिक देकर उनके जीवन स्तर में सुधार लाना है। उल्लेखनीय है कि एकत्रित प्लास्टिक कचरे का उपयोग सड़क निर्माण और सीमेंट उद्योगों में ईंधन के लिये किया जाएगा। उन्होंने सभी लोगों से इस अभियान से जुड़ने व उनके रचनात्मक सक्रिय सहयोग की अपील की है, ताकि शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों को स्वच्छ व सुंदर बनाया जा सके। उन्होंने कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने के भी निर्देश दिये।
राघव शर्मा ने कहा कि प्लास्टिक का दाम मिलने की वजह से लोग उसे कूड़े में फैंकने के बजाय संभालकर रखेंगे और कबाड़ी को बेचेंगे। कचरा घर से ही प्लास्टिक मुक्त होकर कचरा प्लांट तक पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि सभी शहरी निकाय व ग्रामीण निकाय इस प्लास्टिक को खरीदने के लिए कलेक्शन प्वांइट बनाए गये हैं। जहां कोई भी व्यक्ति प्लास्टिक बेच सकेगा। इस प्रक्रिया में आने वाले खर्च को निकाय उन कंपनियों से वसूलेंगे। इस कार्य के लिये उन्हें शहरी निकायों तथा ग्राम पंचायतों में पंजीकरण करवाना आवश्यक होगा। जिसके लिए उन्हें अपने आधार कार्ड तथा बैंक खाता की फोटो प्रति देना अनिवार्य होगी । उन्होंने बताया कि खरीदे जाने वाले प्लास्टिक की राशि संबंधित व्यक्ति के बैंक खाते में जमा करवाई जाएगी। जिसके लिए उन्हें अपने आधार कार्ड तथा बैंक खाता की फोटो प्रति देना अनिवार्य होगी।
उन्होंने बताया कि इस नीति के तहत दूध, ब्रेड, बिस्कुट, नमकीन, चिप्स, आइसक्रीम, दालों व बेकरी तथा कंफेक्शनरी उत्पादों में प्रयुक्त होने वाले प्लास्टिक वेस्ट को खरीदा जाएगा। इसके अतिरिक्त तेल, शैम्पू, साबुन, दहीं व जूस आदि के प्लास्टिक को भी खरीद किया जाएगा। पॉलिसी के तहत भारी प्लास्टिक कचरे जैसे प्लास्टिक फर्नीचर, खिलौने, इलेक्ट्रानिक व इलेक्ट्रिक प्लास्टिक, मिनरल वाटर बोतलें, प्लास्टिक के डिब्बे और टिफिन सहित प्लास्टिक बाल्टी व टब की खरीद नहीं की जाएगी।