उतराखंड के पौड़ी-गड़वाल से शिमला में नौकरी करने आए 24 वर्षीय आदिल पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। उसकी पत्नी हेमा (23) पिछले नौ दिनों से लापता है। हेमा भी पौड़ी-गड़वाल की रहने वाली है। वह दो बच्चों की मां है। बड़ी बच्ची दो साल की है और छोटा बेटा एक साल का। ये दंपति बच्चों संग ठियोग के संधु में रहती है। बीते दो दिसंबर को आदिल बच्चों संग शिमला के कमला नेहरू अस्पताल में हेमा को दिखाने आया था। इसी बीच दिन में करीब 12 बजे हेमा अपने एक साल के बच्चे के साथ अचानक लापता हो गई। इसके बाद आदिल पर मानों कुदरत ने कहर ही बरपा दिया हो। दो साल की बच्ची आदिल के पास है और मां के बिना वह बार-बार बिलख रही है।
बच्ची को गोद में उठाकर आदिल रोजाना शहर में जगह-जगह घूम कर पत्नी की तलाश कर रहा है। कड़ाके की ठंड में बच्ची के साथ वह सरायों, अस्पतालों और गुरूद्वारों में रातें काट रहा है। कंपकंपाती सर्दी में बच्ची की तबीयत बिगड़ने का अंदेशा है। पत्नी का कहीं भी पता नहीं लगने पर पुलिस की शरण में आया। उसकी शिकायत पर छोटा शिमला पुलिस ने महिला की गुमशुदगी का मामला तो दर्ज कर लिया है, लेकिन स्मार्ट पुलिस अब तक उसका कोई सुराग नहीं लगा पाई है।
आदिल की परेशानी यह है कि वह पत्नी को ढूंढे या बच्ची को संभाले कि या उनके भरण पोषण के लिए नौकरी करे। न ही उसका कोई रिश्तेदार शिमला में रहता है कि वह बच्ची को उनके पास छोड़ सके। आदिल ने पत्नी और बच्चे का फोटो छोटा शिमला पुलिस को दिया है और उसका सारा हुलिया भी बता दिया है। उसे इस बात की उम्मीद है कि एक दिन उसकी पत्नी बच्चे को लेकर जरूर लौट कर आएगी और उसकी बच्ची को संभालेगी।
अहम बात यह है कि बच्चियों व महिलाओं की सुरक्षा, देखभाल व उत्थान का दावा करने वाले महिला बाल विकास विभाग के संज्ञान में अब तक यह मामला ही नहीं आया है। प्रदेश की राजधानी शिमला में इस तरह के घटनाक्रम से पूरा महकमा अनभिज्ञ है। महिला बाल विकास विभाग केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित ऐसी अनेक स्कीमें चला रहा है, जहां बच्चियों के संरक्षण व इस तरह के मामलों पर सालाना लाखों-करोडों रूपये खर्च किए जाते हैं। महकमे ने सभी जिलों में सोशल वर्कर से लेकर काउंसलर और बाल संरक्षण अधिकारी तक नियुक्त कर रखे हैं। बच्ची संग दर-दर भटक रहे पिता की काउंसलिंग के लिए विभाग ने संपर्क करना भी उचित नहीं समझा, जबकि इस मामले में पुलिस शिकायत भी दर्ज कर चुकी है।