हिमाचल प्रदेश की जन समस्याओं को लेकर हिमाचल किसान एवं जन कल्याण सभा की बैठक राज्य स्तरीय सभा के प्रदेशाध्यक्ष बृज लाल शर्मा की अध्यक्ष्ता में सभा के कार्यलय घुमारवीं में हुई। बैठक में हैदराबाद और उन्नाव में हुई रेप की घटना के बाद हत्या कर देने पर उनकी आत्मा की शान्ति के लिये दो मिनट का मौन रख कर शोक प्रकट किया गया। और देश के प्रधानमंत्री से मांग की है कि ऐसे जघन्य अपराध के लिये तुरन्त फांसी की सजा का प्रवाधान किया जाए ताकि महिलाएं सुरक्षित रह सकें। बैठक में मुख्य समस्याओं में आवारा पशुओं, जंगली जानवरों और बन्दरों के बारे में, किसानों की भूमि का बंदोबस्त और टेलाबन्दी करवाने के बारे में, टीसीपी एक्ट जैसे लागू किए कानून को ग्रामीण गांवो से जल्दी वापिस लें।
प्रत्येक साल किसान अपनी फसल का बीमा करवाते है। लेकिन जब किसी आपदा से और जंगली जानवरों द्वारा फसल तबाह होती है तो उन्हें बीमा की हुई फसल का कोई लाभ नहीं मिलता है। इसलिए यह प्रवाधान किया जाए कि इसमें जिस क्षेत्र में और जिस किसान की फसल आपदा से जंगली जानवरों द्वारा तबाह की जाती है तो उसका आकलन करवा के किसानों को मुआवजा मिलना चाहिए। किसानों को ऋण साधारण ब्याज चार प्रतिशत पर उपलब्ध करवाया जाए। किसानों से किसी भी प्रकार की आपदा से फसल नष्ट होना और अन्य आपदा आने पर यदि ऋण का भुगतान समय पर न हो सकें तो कोई भी पैनल्टी किसानों को न लगाई जाए और किसानों से चार प्रतिशत व्याज ही लिया जाए। ग्रीन हाउस और पॉलीहाउस व अन्य किसी भी स्कीमों द्वारा अनुदान हो उसे सीधा किसान को दे। अन्यथा अनुदान राशि का लाभ इन हाउसों को लगाने वाली कम्पनियों को ही जा रहा है, किसानों को फसल सुरक्षा के लिये बंदूक लाइसेंस की नवीकरण फीस 1600 रुपये की शीघ्र वापिस लें। बिजली उपभोगताओं से बिजली बिल के नाम पर अतिरिक्त वसूली और बार-बार मीटर चार्ज को रोका जाए और हिमाचल में सीमेंट के दामो को घटाया जाए। क्योंकि दूसरे राज्यों में सीमेंट के दाम हिमाचल की अपेक्षा कम है।
कई समस्याओं को लेकर प्रदेश अध्यक्ष एव संघर्षशील कर्मठ युवा किसान नेता बृज लाल शर्मा ने कहा कि किसानों की दशा इतनी दयनीय है कि जो किसान देश और प्रदेश में आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाते हैं। ना ही बेसहारा पशुओ का आज दिन तक कोई प्रबंध किया गया। जो किसानों की फसल को दिन प्रतिदिन उजाड़ने में कोई कसर नहीं रख रहे हैं और जानलेवा हमले कर रहे हैं। कई लोगों को घायल और कई को मौत के घाट भी उतार भी दिया गया है। लेकिन अभी तक इन अवारा पशुओं का हल कोई नहीं निकला है। अगर इन आवारा पशुओं का हल शीघ्र नही किया गया तो बहुत बड़ा जन आंदोलन होगा। हैरान होने का पहलू है कि 18 सालों से घुमारवीं सिविल अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की मशीन बन्द कमरे में पड़ी है। लेकिन किसी भी राजनैतिक पार्टी ने चाहे कोई भी हो। इसे चलाने के लिये रेडियोलॉजिस्ट का प्रबंध नही किया गया। इन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र केवल मात्र औपचारिकता ही रह गई है। किसानों की समस्याओं और बेरोजगारों युवाओं के बारे में कोई चर्चा नहीं, केवल अपने ऐशो आराम कर रहे हैं और जनता की कोई परवाह नहीं है।