हिमाचल प्रदेश सरकार का फैसला की कुंडली में जो सरकार की 3 एकड़ भूमि है उस भूमि को निजी हाथों में बेच दिया जाएगा का कांग्रेस पूरी तरह विरोध करेगी और 1 इंच भी जमीन हिमाचल प्रदेश की नहीं बिकने भी जाएगी। यह बात एचपीएमसी के पूर्व उपाध्यक्ष प्रकाश ठाकुर ने कही। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार बजट के अभाव में इस जगह को प्रदेश के किसानों के लिए डेवेलप नहीं कर पाई। इस बात का हमें दुख जरूर है लेकिन यह बहुत बड़ी बात है कि जो जमीन सरकार ने बागवानों और किसानों की सुविधा के लिए ली हुई थी उस जमीन को बेचने की प्रपोजल मौजूदा सरकार ने बना रखी है।
प्रकाश ठाकुर ने कहा कि वर्ल्ड बैंक से प्रदेश सरकार को 1134 करोड रूपया आया है और यहीं से कुछ पैसों से यहां पर बागवानी और किसानों के लिए अपना सामान सीधे तौर पर दिल्ली के बाजार में बेचने के लिए मार्केट बन सकती है।। लेकिन सरकार ने बजाए की बागवान और किसानों के लिए इस जगह को डेवेलप करने से गुरेज किया और अब इसे बेचने का प्रपोजल सरकार बना रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के समय यह भी निर्णय लिया गया था कि हिमाचल भवन में क्योंकि बहुत बार रहने के लिए कम जगह हो जाती है तो एक सर्किट हाउस और साथ में एक पिकनिक स्पॉट किया जाना था क्योंकि यह जगह बिल्कुल नेशनल हाईवे के साथ है।
बताते चलें कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने कुंडली के पास 3 एकड़ भूमि को निजी हाथों में बेचने का निर्णय लिया है। जिसका कारण सरकार ने बताया कि भूमि पर अवैध कब्जा हो चुका है। लेकिन हैरानी इस बात की है कि किसी भी तरह का मामला कोर्ट में सरकार की तरफ से अवैध कब्जा धारियों के ऊपर आज तक दर्ज नहीं किया गया है और सीधे-सीधे सरकार ने इस भूमि को बेचने का फैसला कर लिया है। इतना ही नहीं एचपीएमसी की थी लेकिन सन 2015 में इस भूमि को जी एडी को बेच दिया गया। जिसकी कीमत ₹10 करोड़ थी जी को इस भूमि को देने का मतलब यही था कि यहां पर एक सरकार ने सर्किट हाउस और पिकनिक स्पॉट बनाने का प्रपोजल बनाया हुआ था। लेकिन ना तो यह जगह जीएडी के नाम ट्रांसफर हुई और ना ही सरकार ने इस जगह को विकास करने के लिए कोई सकारात्मक कदम उठाएं।
अब जब 4 साल पूरे हो गए हैं और जीएडी का ₹10 करोड़ एचपीएमसी के पास पड़ा हुआ है जिसका की कोई लाभ 4 सालों में जीएडी को नहीं हुआ उसके बाद अब इस भूमि को निजी हाथों में बेचना का मतलब समझ से परे है। हरियाणा सरकार से जब प्रदेश सरकार ने इस विषय को लेकर बात की तो उन्होंने सीधा कहा कि लैंड ट्रांसफर का खर्चा करीब 40 लाख रुपया आएगा और सरकार इस खर्चे से बचने के लिए अब इसे सीधे निजी हाथों में बेचने का मन बना चुकी है। वहीं, कांग्रेस पार्टी के नेता प्रकाश ठाकुर ने कहा कि यह निंदनीय है और हम प्रदेश की 1 इंच भूमि को बेचने का भी कड़ा विरोध जमीनी स्तर पर करेंगे। इस जगह को सरकार को चाहिए कि बागवानों और किसानों की सुविधा के लिए बनाए ना कि निजी हाथों में बेचे। अगर यहां पर किसी ने अवैध कब्जा कर रखा है तो सरकारें इतनी सक्षम होती है कि अपने अवैध कब्जों को आसानी से हटा सकते हैं और अगर सरकार इन अवैध कब्जों को नहीं हटा सकती तो जयराम सरकार खुद को एक तरह से जनता के बीच में घोषित कर रही है।