बड़सर विधानसभा बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों के लिए कांटे की टक्कर मानी जा रही है। जिसका कारण ये नहीं है की यहां पर बीजेपी और कांग्रेस मजबूत कमजोर चल रही है लेकिन, यहां पर भीतर घात और बागी किस तरह के समीकरण लेकर आते हैं ये उससे भी जायदा महत्वपूर्ण है।
सीपीएस इंदर दत्त लखनपाल और पूर्व विधायक बलदेव शर्मा में अगर सीधी टक्कर रहती तो चुनाव बहुत इंटरेस्टिंग हो सकता था लेकिन, दोनों ही दलों में बगावत के सुर चरम पर हैं। फर्क सिर्फ इतना है की कांग्रेस में जहां बगावत नज़र आ रही है वहीं, बीजेपी में भी बगावती तेवर दिखाने वाले अपने-अपने तरीके से काम में लगे हुए हैं।
सीता राम भारद्वाज और मंजीत डोगरा सीपीएस इंदर दत्त को खुले में चुनौती दे रहे हैं और माना जा रहा है इन दोनों की जोड़ी इस बार चुनाव में इंदर दत्त को नुक्सान पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ने वाली है। ये भी कह सकते हैं की जो हालत कांग्रेस की यहां पहले से थी कमोपेश वही हालत इस चुनाव में जरूर नज़र आएंगी।
वहीं, बीजेपी में टिकट बेशक बलदेव शर्म को मिल चुका है लेकिन, यहां भी भीतर बगावत नजर आ रही है जिसके कारण बीजेपी पिछला चुनाव बड़सर में हारी थी।
इस बार फिर से वही स्तिथि यहां बीजेपी की होने वाली है और पहले सिर्फ विनोद ठाकुर जो अब बीजेपी से कांग्रेस में चले गए हैं। लेकिन, इस बार जहां जगह-जगह बलदेव शर्मा को टिकट नहीं देने को लेकर बीजेपी के लोगों ने प्रदर्शन भी किये और बलदेव के पुतले भी जलाये लेकिन उसके बाद अगर पार्टी ने टिकट दिया है तो ये महत्वपूर्ण रहेगा की जिन लोगों ने टिकट देने का विरोध किया था उनकी भूमिका चुनाव में किस तरह की रहने वाली है।
कमल नयन और बबली जैसे संघ और विद्यार्थी परिषद के 2 ऐसे नाम यहां बीजेपी के हैं जो बलदेव को चुनौती देते रहे हैं । ये इस बार चुनाव में किस तरह काम करते हैं ये देखना भी काफी महत्वपूर्ण है। धूमल के आशीर्वाद से बलदेव को टिकट मिल जाना तो ठीक है लेकिन अब वो इस टिकट को कैसे अपने लिए जीत में बदलते हैं ये भी उतना ही महत्वपूर्ण है।