कांगड़ा तहसील के नन्देड़ गांव में लोगों को अपने आत्मविश्वास के बूते आत्मनिर्भरता की राह दिखाने वाली एक सक्रिय महिला विंता देवी की खूब बातें हो रही है। विंता ने जिदंगी की तमाम बाधाओं को पार करते हुए अपने घर की आर्थिक स्थिति को बदल डाला है और एक नई सामाजिक पहचान बनाई है। दसवीं तक पढ़ी विंता करीब 8 साल पहले विवाह कर जब नन्देड़ गांव में अपने ससुराल आई थीं, उस समय घर की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर थी। पति अजय कुमार के साथ खेतीबाड़ी का काम शुरू किया, लेकिन नकदी फसलें लगाने की जानकारी और ज्ञान के अभाव में उनके प्रयास सफल नहीं रहे। ऐसे में विंता देवी को पंजाब नैशनल बैंक के धर्मशाला स्थित ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान द्वारा इच्छुक लोगों को सब्जी नर्सरी प्रशिक्षण देने का पता चला। उन्हें आशा की किरण नजर आई और तुरन्त संस्थान से सम्पर्क किया और प्रशिक्षण के लिए आवेदन कर दिया।
संस्थान द्वारा विंता देवी के गांव में 10 दिन का सब्जि नर्सरी प्रबन्धन और उत्पादन का प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया गया। जिससे इनके आत्मविश्वास में वृद्धि हुई और इन्हें पता चला कि सब्जियों की खेती कैसे की जाती है, सब्जियों में लगने वाली बीमारियों की रोकथाम और सब्जियों के उत्पादन को कैसे बढ़ाया जा सकता है। इस प्रकार का ज्ञान प्राप्त करके इनके काम में एक बदलाव आया और इन्होंने और अधिक मेहनत करना शुरू कर दिया। विंता देवी बताती हैं कि उनके लिए यह प्रशिक्षण बहुत उपयोगी साबित हुआ। इस दौरान उन्होंने सब्जि उत्पादन की उन्नत तकनीकों के बारे में जानकारी प्राप्त की। उन्होंने नकदी सब्जियों की खेती करने की विधि के बारे में भी पूरी जानकारी ली।
प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरांत अपने पति के साथ लगभग 60 हजार रूपये की पूंजी और 10 हजार रुपये स्वयं सहायता समूह के द्वारा कांगड़ा सहकारी बैंक जमानाबाद से लोन लेकर सब्जियों का उत्पादन शुरू किया। मेहनत और प्रशिक्षण से प्राप्त ज्ञान के बूते देखते ही देखते दिन बदलने लगे। आज वे सब्जियों को आसपास के गांवों में बेचते हैं और हर महीने लगभग 12 हजार रूपये कमा रहे हैं। अजय कुमार का कहना है कि विंता देवी के आत्मविश्वास ने उनके परिवार की जिन्दगी बदल दी है। इसके अतिरिक्त विंता देवी ने अपने परिवार के सहयोग से पॉलीहाउस भी लगाया है जिसमें बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन से उनकी आर्थिकी और अधिक सुदृढ़ हुई है।
पंजाब नैशनल बैंक ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान के निदेशक महेन्द्र शर्मा बताते हैं। कि संस्थान जरूरतमंद एवं इच्छुक लोगों को स्वरोजगार आरम्भ करने के लिए निःशुल्क प्रशिक्षण देता है, ताकि वे आर्थिक रूप से सुदृढ़ एवं आत्मनिर्भर हो सकें। संस्थान 18 से 45 वर्ष तक की महिलाओं और पुरूषों को डेयरी फार्मिंग, खुम्ब उत्पादन, सब्जी नर्सरी प्रबंधन और सब्जियों की खेती, आलू एवं प्याज की खेती और प्राकृतिक संरक्षण, अचार और पापड़ बनाना, खिलौने बनाना, डुने पत्तल बनाना, कपड़े के बैग बनाना और मोबाईल रिपेयरिंग जैसे विभिन्न रोजगारपरक व्यवसायों में प्रशिक्षण प्रदान करता है। प्रशिक्षण की समाप्ति पर प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण-पत्र दिए जाते हैं, जिसके द्वारा वे स्वरोजगार हेतु जिला कांगड़ा के किसी भी बैंक से ऋण प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं।