प्रदेश की दूसरी राजधानी और विश्व पर्यटन स्थल होने के नाते धर्मशाला में वाहनों की संख्या लगातार बढ़ रही है। पार्किंग का ज्वलंत मुद्दा सभी के लिए सिरदर्द बन चुका है। इसी को देखते हुए तीन साल पहले धर्मशाला में एशियन डवेल्पमेंट बैंक के तहत करोड़ों रुपयों की लागत से मिनी सचिवाल और जिला सचिवालय के बार पार्किंग का निर्माण किया गया है। बावजूद इसके ये मल्टी पार्किंग आज दिन तक न तो जिला प्रशासन के सपुर्द हो पाई है और न ही नगर निगम धर्मशाला इस पर अपना हक जमा सकी है।
यही वजह है कि ये पार्किंग अब लोगों के वाहनों के लिए प्रयोग में लाने की बजाय शहर के तमाम आवारा और बेसहारा जानवरों की आरामगाह में तब्दील हो चुकी है। सरकारी कामकाज की लेटलतीफी का आलम ये है कि करोड़ों रुपये खर्च हो चुके हैं यानी हाथी निकल चुका है पूंछ बाकि है। बावजूद इसके पार्किंग को कब और कौन अंतिम रूप देगा? ये जानकारी न तो जिला प्रशासन के पास है और न ही नगर निगम के पास है। ऐसे में इस पार्किंग को अंतिम रूप कौन देगा इसका भी ठोस जबाव किसी के पास नहीं है।
हालांकि नगर निगम की माने तो वो बार-बार जिला प्रशासन से इस बाबत बातचीत भी कर रहे हैं। लेकिन जिला प्रशासन की ओर से भी उन्हें कोई माकूल जबाव नहीं मिल पा रहा है। जिसके चलते वो भी पार्किंग की समस्या को दूर करने के लिए लाचार हैं। वहीं, जिलाधीश कांगड़ा राकेश प्रजापति की मानें तो एडीबी के जरिये तैयार हो रही पार्किंग अभी कंप्लीट नहीं हो पाई है। यही वजह है कि अभी यहां पार्किंग करवाना उनके वश में नहीं है। लेकिन जैसे ही पार्किंग का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा उसके बाद ही तय होगा कि आखिर इसे किसके सपुर्द किया जाए।